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राजधानी बालों की झिर भी छोटी है परंतु भावनाएं प्रबल हैं

रत्नकरण्ड श्रावकाचार ग्रन्थ - दृष्टि हमारी है द्रष्टान्त हमारा है तो इसमें पर को दोष नहीं दे सकते

हथकरघा के कार्यकर्ताओं को विशेष सम्बोधन गुरुवर द्वारा

दुसरे को देखने में ही अपना उपयोग सदुपयोग से दुरूपयोग में बदल रहा है जबकि स्वयं की तरफ देखें।

बच्चों को मोबाइल मैन नहीं बनाओ उसे अच्छा मैन बनाओ।

सम्यकदर्शन कर्मों की निर्जरा - परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

राष्ट्र सर्वोपरि होता है I हम सभी को हमेशा उन माहन शहीदों के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए । परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

रत्नकरंड श्रावकाचार ग्रन्थ आचार, विचार, आहार, और व्यवहार I - परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

अर्थ,व्यर्थ, और अनर्थ I परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

आपकी दृष्टि दूसरों पर है, पराये दृश्य को आप अपना दृश्य समझ रहे हो तो दोष आपका ही है I परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

अहिंसा परमो धर्म:

श्री वेदप्रताप वैदिक राष्ट्रभाषा के दो पुरोद्धा जब रूबरू हुए तो बात निकली राष्ट्रीय पक्ष की । परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

व्यबधान का समाधान एकाग्रता,संकल्पशक्ति में होता है। परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

प्रमाद और कषाय

इंडिया का अर्थ है अपराधी, क्रूर, लड़ाकू, पुराने ढर्रे का व्यक्ति । "शरद पूर्णिमा जन्मोत्सव" परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

शरद पूर्णिमा जन्मोत्सव परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी