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भोपाल । राष्ट्रभाषा और राष्ट्र वाद के चिंतक जन जन की आस्थाओं के केंद्र बिंदु की शरण में जब राष्ट्रवादी विचारधारा के मनीषी विद्वान् पहुंचे तो हिंदी से शुरू होकर राष्ट्रीय पक्ष की मजबूती तक पहुँच गई ।
पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन और मार्गदर्शन हेतु आज वरिष्ट साहित्यकार और राष्ट्र चिंतक ,पत्रकार
श्री वेदप्रताप वैदिक पहुंचे और श्रीफल समर्पित कर उनका आशीष ग्रहण किया । इस अवसर पर जब हिंदी और भारतीय भाषाओं की बात निकली तो
आचार्य श्री ने कहा सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय पक्ष को सामने रखकर राष्ट्रभाषा और स्थानीय भाषाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्य करना चाहिए ।
सर्वप्रथम न्याय क्षेत्र में जो कार्य होते हैं उन्हें स्थानीय भाषाओं में करना चाहिए ताकि बादी और प्रतिबादी को सही न्याय मिल सके । इस अवसर पर श्री वैदिक ने गुरुवर से कहा कि आप
भारत के सभी लोगों में
शाकाहार,
प्राचीन शिक्षा पद्धति के साथ साथ आर्य खंड के सभी देशों को एक सूत्र में पिरोने के लिए मार्गदर्शित करें । भाषा के मुद्दे पर श्री वैदिक ने कहा की गुरुवर में आपके आशीर्वाद से भारतीय भाषाओं के सशक्तिकरण के लिए देश भर में काम कर रहा हूँ इस पर आचार्य श्री ने कहा की आप अपने कार्य को
ग्रामीण भारत पर केंद्रित करें तो सफलता निश्चित तौर पर मिलेगी क्योंकि विदेशी भाषा का ज्ञान न होने के कारण ग्रामीण जन तक राष्ट्र के विकास की मुख्य धारा भी नहीं पहुँच पा रही है । स्थानीय भाषाओं और राष्ट्रभाषा के लिए सभी पक्षों को एक सूत्र में पिरोने के लिए एक मंच पर आना होगा और इसके लिए सबसे पहले राजनीति का
परित्याग होना चाहिए और राष्ट्रीय पक्ष को सामने रखकर बात होनी चाहिए ।
राष्ट्रभाषा के लिए शुरुआत मध्यप्रदेश, छत्तीशगढ़,पंजाब, दिल्ली, उत्तरप्रदेश ,बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, राजस्थान ,गुजरात और महाराष्ट्र से होनी चाहिए । इस पर श्री वैदिक ने कहा की हम इस कार्य हेतु
कटिबद्ध हैं और आपके मार्गदर्शन से इस कार्य को अंजाम तक अवश्य पहुंचाएंगे । इस अवसर पर हिंदी पत्रकारिता सम्मलेन के प्रमुख विजय जैन मुम्बई ने भी गुरुवर का मार्गदर्शन प्राप्त किया ।
फिर लगभग 30 मिनट श्री वैदिक और गुरुवर की एकांत कक्ष में राष्ट्र के अनेक मुद्दों पर वार्तालाप हुआ । स्वागत कक्ष में उनका स्वागत अध्य्क्ष प्रमोद हिमांशु, विनोद mpt, सनत जैन,राकेश सिंघई, पंकज प्रधान , प्रशम जैन ,विजय गोयल, मनीष प्रगति ,डॉ अरविन्द जैन ने किया ।।
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
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