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जैन कर्म सिद्धांत के अनुसार, कर्म के आठ मुख्य प्रकार हैं घातिया और अघातिया

सम्पूर्ण जैन धर्म का सार

भावना योग

व्यक्ति से व्यक्ति को, समाज से समाज को अलग करने का प्रयास पागलपन है, सफल नहीं होगा, शिक्षा ही इसे रोकेगी

आचार्य श्री विद्यासागर दिगंबर जैन पाठशाला ( Online स्वाध्याय नेटवर्क ) में आपका स्वागत है|

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के पाद प्रछालन करते हुये श्री सनातन धर्म के प्रमुख लोग

जैनधर्म, इनर इमोशन्स भावना योग - मुनिश्री १०८ प्रमाणसागर जी महाराज

censusforjain.com जैन जनगणना

परम श्रद्धेय गुरुवर आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी प्रवचन संग्रह

अपराजेय साधक संयम स्वर्ण महोत्सव आचार्य श्री विद्यासागर

जैनधर्म की प्राचीनता अनादिकाल से अनन्तकाल तक विद्यमान रहने वाला जैन धर्म है। जैनम जयतु शासनं, वन्दे विद्यासागरम _/\_