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रोगों से मुक्ति तभी होगी जब भोगों से मुक्ति की और कदम बढ़ाओगे । "आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज"

आत्मा का कल्याण तभी होता है बृक्ष की भांति दूसरों को छाया के साथ साथ आश्रय प्रदान करने की भावना होती है। " पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज "

अपने दृष्टी कोण को बदलने से और सही दिशा में पुरुषार्थ करने से ज्ञान को भी सही दिशा मिलती है। " पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज "

कर्तव्य में कोई शर्त नहीं होना चाहिये। - पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागरजी महाराज

जीवन में दुःख और सुख दोनों बराबर आते रहते हैं । "आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज "

भावुक न बनें बल्कि अपने बच्चों की भावनाओं को मजबूत बनाएं । पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी

उस मन को ठन्डे बस्ते मे डाल दीजिये आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी "संक्षिप्त अमृत वाणी"

"प्राशुकता ही जीवन है" आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी

"ध्यान" *रविवारीय प्रवचन* आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

आप स्वयं ही सरकार बनकर सामाजिक ताने बाने को दुरुस्त करने का उपक्रम प्रारम्भ करें।

भारत ऐसा वटवृक्ष जिसकी जड़े बहुत गहरी हैं- आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी

जय जिनेन्द्र आज के प्रवचन 19 सितम्बर सुबह 9.15 बजे

"सौधर्म जैसा वैभव चाहिये तो श्रद्धान मजबूत बनाइये"

चतुर्दशी पर पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा "मोक्ष मार्ग बहार कम भीतर ज्यादा है "

आकिंचन्य धर्म पर आचार्यश्री के प्रवचन

उत्तम त्याग धर्म

तप धर्म पर आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज श्री की दिव्य देशना

"तूर्यनाद"

सत्य धर्म पर आचार्य श्री के प्रवचन