भोपाल । आज पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के सानिध्य में उत्तम त्याग धर्म पर आज श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हबीबगंज में दयोदय महासंघ अधिवेशन का भव्य आयोजन किया गया । पूज्य मुनि श्री शीतल सागरजी महाराज ने तत्वार्थ सूत्र का वचन किया।250 गौशालाओं के संचालक मंडल इस सम्मलेन में उपस्थित हुए ।मुख्य अतिथि पर्यावरण मंत्री अंतरसिंह जी आर्य ने श्रीफल समरप्पीत कर आशीष ग्रहण किया । मंगलाचरण पदमा जैन ने प्रस्तुत किया । गुरुनाम गुरु आचार्य श्री ज्ञान सागरजी महाराज के चित्र का अनावरण और दीप प्रज्ज्वलन मंत्री अंतरसिंह जी आर्य , प्रभात जी मुम्बई , अशोक पाटनी , पंकज पारस चैनल , राजा सूरत , राकेश osd ने किया । शास्त्र भेंट श्री सिंघई जी ने किया । विनोद जैन mpt ने पंचायत कमेटी द्वारा चलाये जा रहे समाधान केंद्र की जानकारी दी जिसमें न्यायमूर्तिनिर्मल जी जैन , अभय गोहिल जी ,shrimati vimla jain , श्री डी के जैन की सेवाओं के लिए उनका सम्मान किया गया । श्री निर्मल जी झांझरी सहित अन्य लोगों ने पाद प्रक्षालन किया अंतरसिंह जी आर्य का सम्मान प्रमोद हिमांशु , कमल अजमेरा ने किया । दयोदय संघ के कार्य अध्य्क्ष सुरेन्द्र जैन ने आचार्य श्री की प्रेरणा से संचालित संघ की गतिविधियों की जानकारी प्रदान की । संघ के संरक्षक प्रभात जी मुम्बई ने बताया कि गुरुवर की प्रेरणा से मांस निर्यात के विरुद आंदोलन किया । फिर 70 गौशालाओं को खोलकर लगभग 45000 गायों का संरक्षण कर रहे हैं । इसके लिए देशभर से दानदाताओं अशोक पाटनी , कोयला परिवार , पंकज जी देल्ही , राजा जी सूरत , झांझरी परिवार और अन्य भक्तों का सहयोग रहता है । इस अवसर पर पंचायत कमेटी ने चातुर्मास की राशि में से 54 लाख रुपए दयोदय संघ को देने की घोषणा विनोद mpt ने की । पशुपालन और पर्यावरण मंत्री अंतरसिंह जी आर्य ने कहा कि सरकार पशु पालन और गौ संरक्षण के सन्दर्भ में कार्य कर रही है । गौ के मामले में शिवराज जी भी काफी चिंता से कार्य करने की प्रेरणा हमें देते हैं और सरकार की तरफ से जो उचित कदम होंगे हम जरूर उठाएंगे । कार्यक्रम का सञ्चालन अपर सचिव नितिन नांदगाओकर ने करते हुए कहा की मुख्यमंत्री श्री शिवराज जी ने आचार्य विद्यासागर गौ सम्बर्धन योजना प्रारम्भ कर 11000 महिलाओं को 22000 गाय प्रदान कर उनका दुग्ध मध्यप्रदेश दुग्ध संघ क्रय कर रहा है।
इस अवसर पर पूज्य आचार्य श्री ने कहा की संकल्प का रूप वडॉ विराट होता है जिससे सभी का कायाकल्प हो जाया करता है । दया का क्षेत्र में कार्य होना चाहिए । दया हमेशा जीवंत रहती है , माया के प्रति राग होता है परंतु दया तो धर्म का मूल होता है । जब दो आँखें दूसरी दो आँखों से मिलती हैं तो दया और करुणा के भाव जागृत होते हैं । कभी भी आवश्यकता से अधिक की अपेक्षा नहीं करना चाहिए जो चाहिए सब पुरुषार्थ से मिलता जायेगा । गौ माता कामधेनु होती है उसको हम दे क्या रहे हैं जबकि लेते ही जा रहे हैं और बो एक माँ की भांति मीठा दूध और अमृत दे रही है । पहले गौ दान की परंपरा होती थी उसको जीवित करने की जरूरत है । सरकार अपना कार्य करती है हमें अपना कार्य करना चाहिए उस पर आश्रित नहीं रहना चाहिए । गौ सेवा के क्षेत्र में भारत की जनता को स्वयं ही आगे आना चाहिए । आप तो धर्म के कार्य को करते जाइये ये जबरदस्त कार्य है परंतु जबरदस्ती का कार्य नहीं है , जो है भगवान् के भरोसे चलता जायेगा , प्रकृति ने कामधेनु को दिया है तो प्रकृति ही उसकी रक्षक है । कामधेनु की कृपा के बदले सिर्फ अपने कर्तव्यों का पालन करना करते जाइये । उन्होंने कहा की दान दाता को तो दान देते समय अहोभाग्य समझना चाहिए की उसका दान दया के क्षेत्र में जा रहा है । जो व्यक्ति अर्जन करता है उसे धन का विसर्जन भी करना चाहिए यही धर्म का सन्देश है । पहले भी भारत में गौ संरक्षण की परंपरा चली आ रही है ,राजाओं के राज्य में भी गौमाता निर्भय होकर घूमती थी आज लोकतंत्र में आप सभी राजा की भांति गौ माता का संरक्षण करो । प्राचीन समय में भारत में गुरुकुल , गौशालाएं चलाई जाती थीं आज भी गुरुकुल की शिक्षा के लिए और गौशालाओं की गाय के संरक्षण के लिए जरूरत है । भारत की कृषि तंत्र को तहस नहस करने का प्रयास हो रहा है , राष्ट्रभाषा के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है , संस्कृति को छिन्न भिन्न करने का प्रयास विदेशिओं द्वारा आज भी किया जा रहा है । नेता मात्र का कर्तव्य नहीं है व्यवस्था परिवर्तन में जनता को भी अपने कर्तव्यों के पालन के प्रति गंभीर होना चाहिए । लोकतंत्र मजबूत तभी होगा जब सब सामूहिक रूप से से प्रयास करेंगे । गुरुवर ने कहा की गौ धन राष्ट्र की सबसे बड़ी पूँजी है जबकि हम कामधेनु को छोड़कर यांत्रिक कार्यों को बढ़ाबा दे रहे हैं । गौरस योगी के शुक्ल ध्यान में भी कारगर होता है और आपके द्वारा दिया जाता है योगी को तो आपको पुण्य की प्राप्ति होती है परंतु जब गौ नहीं होगी तो दुघ की धारा कहाँ से लाओगे । चार प्रकार के दान में अभय दान भी श्रेष्ठ माना जाता है इसलिए कम से कम कामधेनु के अभय के लिए तो कुछ अर्थ का त्याग करने का संकल्प लो तभी तुम्हारे दस धर्मों के पालन की उपयोगिता मानी जायेगी । एक बार जो ब्रत ले लिया उसे पूर्ण करने के लिए कमरकस लेना चाहिए ,बीच में छोड़ना नहीं चाहिए । जैंसे हम दाम्पत्य जीवन में वचन लेकर एक दुसरे के प्रति समर्पित रहते हैं बैसे ही कामधेनु के प्रति वचनबद्ध होकर काम करें उसके प्रति समर्पित रहें क्योंकि बो भी आपके प्रति दया का भाव रखकर आपको अपना दूध देती है । बो दुग्ध प्रदान करती है आप उसे संरक्षण प्रदान करो । यदि सम्यक दर्शन के निकट पहुंचना चाहते हो तो दया जो धर्म का मूल है उसे जीवन में उच्च स्थान देना होगा ।।
प्रवचनों के वाद मंत्री श्री अंतरसिंह आर्य जी ने कमरे में गुरुवर से भेंट कर सरकार की पशुपालन और कुटीर उद्योगों की योजनाओं की जानकारी दी तब आचार्य श्री ने कहा आप जनहित में योजनाएं लाइए मेरा आशीर्वाद है । इस अवसर पर नितिन नांदगांवकर , कमल अजमेरा , पंकज प्रधान , संजीव गेंहू , प्रदीप मोदी , अमित टडैया साथ थे ।। दोपहर में पूर्व मंत्री सरताज सिंह जी ने भी आचार्य श्री से भेंट कर उनका आशीष ग्रहण किया ।।
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
जय जिनेन्द्र
【शब्द संचयन】
पंकज प्रधान
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