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आषाढ़ से चूका किसान और डाल से छूटा बंदर दोनों की स्थिति ख़राब ही होती है इसी प्रकार समय रहते मनुष्य यदि अपने नर भव को सफल बंनाने में चूक जाता है तो उसकी भी बुरी गत होती है।

सर्दी उन्हें ही लगती है जिन्हें बुढ़ापे का डर सताता है।

आप भी यदि संग्रह करते हैं बुद्धि का एवं धन का, और वो समय पर जरूरत मंदों को बांटते रहेंगे तो वो पुण्य का कारण बन जाता है और पुण्य सद्कार्यों से ही प्रबल होता है।

भोपाल (चौक)। अहिंसा स्थली इकबाल मैदान में बन गया समोशरण जब पुज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ससंघ पधारे।

शिक्षा और भारत समापन सत्र

"अभूतपूर्व पिच्छी परिवर्तन "

कोई भी काम करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है

जब कर्मों की हवा चलती है तो रातों रात जीवन की दिशा और दशा बदल जाती है।

जो मनुष्य को मिलता है उसके लिए इंद्र भी तरसते हैं ।

"शिक्षा और भारत" शुभारम्भ सत्र

गुरुवर ने कहा कि सोचने से पहले सुनना जरूरी है जब तक हम सुनेंगे नहीं तब तक सोचना व्यर्थ है।

*"शिक्षा और भारत" विषय पर पुज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का "पत्रकारों" को सम्बोधन*

राजधानी बालों की झिर भी छोटी है परंतु भावनाएं प्रबल हैं

रत्नकरण्ड श्रावकाचार ग्रन्थ - दृष्टि हमारी है द्रष्टान्त हमारा है तो इसमें पर को दोष नहीं दे सकते

हथकरघा के कार्यकर्ताओं को विशेष सम्बोधन गुरुवर द्वारा

दुसरे को देखने में ही अपना उपयोग सदुपयोग से दुरूपयोग में बदल रहा है जबकि स्वयं की तरफ देखें।

बच्चों को मोबाइल मैन नहीं बनाओ उसे अच्छा मैन बनाओ।

सम्यकदर्शन कर्मों की निर्जरा - परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज