भोपाल (चौक)। अहिंसा स्थली इकबाल मैदान में बन गया समोशरण जब पुज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ससंघ पधारे।

 "अमृत वाणी" 
🚩🚩          परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी  इस अवसर पर गुरुवर ने कहा कि तालाब में कंकर फेंकते हैं तो नीचे की और चला जाता है। लकड़ी बजनदार होती है फिर भी नहीं डूबती है,जबकि उसमें गाँठ भी होती है। जिसके भीतर पकड़ नहीं है बो तैरता रहता है छोटा डूब जाता है। लकड़ी पानी में गलती नहीं है और पत्थर गल जाता है। पानी के जहाज में नीचे लकड़ी लगाई जाती है और उसी बजह से जहाज डूबता नहीं है। हमें भी लकड़ी की तरह बनना है ताकि हम संसार सिंधु में डूबें नहीं। ऊपर देखता हूँ तो भगवान दिखते हैं नीचे देखता हूँ तो होनहार भगवान दिखते हैं। आप सभी में भगवान बनने के गुण विद्यमान हैं  स्वयं अपने निर्णय से पुरुषार्थ करने पर ही ऊपर बाले भगवान के समक्ष पहुंचा जा सकता है। 

   आज बहुत समय के उपरान्त चौक को देख लिया परंतु चौक कहाँ पूरा गया है ये नहीं देख पाया क्योंकि पैर रखने की जगह भी नहीं है आपके चौक में। आप सभी धर्म के पथ पर अग्रसर हों यही आशीर्वाद है।

     इससे पूर्व आज जैन समाज और भोपाल के सबसे पुराने शिक्षा के केंद्र दिगम्बर जैन विद्यालय में पूज्य आचार्य श्री प्रातः पहुचे जहां उनकी अगवानी की गई। उन्होंने शिक्षा के इस केंद्र की सराहना करते हुए आशीर्वाद दिया। गुरुवर को विद्यालय समिति के अध्यक्ष अरविन्द सुपारी ने बताया कि आपकी प्रेरणा से जल्द ही यहाँ हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र भी खोला जायेगा। इस अवसर पर सचिव संजय बंटू,उपाध्यक्ष आलोक पंचरतन, पार्षद एवं संचालक सोनू भाभा आदि भी उपस्थित थे। 

       आचार्य श्री की आहारचर्या का सौभाग्य उनकी सेवा में सदैव ततपर चातुर्मास के कर्मठ कार्यकर्त्ता राजकुमार जैन और देवेन्द्र जैन लालू के परिवार को प्राप्त हुआ।

अपना देश  अपनी भाषा 
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी

शब्द संचयन 
पंकज प्रधान  

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