भोपाल। आज 3 नवंबर को आयोजित धर्मसभा में पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि ज्वालामुखी का फटना अलग बात है, भूकंप अलग बात है और सूर्य की तेज किरणें अलग बात है। कांच पर जब किरणें पड़ती हैं तभी प्रकाश फैलता है । ज्ञान को बाँधने का नाम ध्यान है जब तक ज्ञान को बाँधने का उपक्रम नहीं करेंगे तब तक अन्तर्मुहरत की साधना को गति नहीं मिल पाती है। जब सूर्य की किरणों की उष्णता से कंडे में भी अग्नि प्रज्ज्वलित होती है। समयसार को रटने से ज्ञान प्रज्ज्वलित नहीं हो सकता है जब सूर्य की किरण की तरह वो अंतरात्मा में प्रवेश करता है तब ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित होती है।
गुरुवर ने कहा कि सोचने से पहले सुनना जरूरी है जब तक हम सुनेंगे नहीं तब तक सोचना व्यर्थ है। सूर्य की भाँती ऊर्जा मनुष्य के अंतर में निहित है परंतु ज्ञान के आभाव में वो ऊर्जा उद्घाटित नहीं हो पा रही है और ज्ञान तभी प्रकट होगा जब हम ज्ञान की खान के निकट पहुंचेंगे । जिनवाणी को पढ़ने भर से काम चलने बाला नहीं है उसे गढ़ना भी पढ़ेगा। ज्ञान का सदुपयोग करने से ही ज्ञान की किरणें हर दिशा में फ़ैल सकती हैं जो सूर्य की किरणों की भाँती प्रत्येक आत्मा को प्रकाशित करने में सक्षम होगी।
जैंसे जैंसे पिच्छी परिवर्तन का समय निकट आता जा रहा है बैसे बैसे चौका लगाने बाले श्रावकों की श्रद्धा भक्ति बढ़ती जा रही है। हरेक मन में एक ही आस है कि वो सौभाग्य के क्षण आएं जब गुरुवर उनके चौके को परम पवित्रता प्रदान करें।
आज आचार्य श्री को आहार कराने का सौभाग्य बाबूलाल जी जैन और उनके पुत्र राजीव गेंहू, उपमंत्री श्री दि जैन पंचायत कमेटी भोपाल के परिवार को प्राप्त हुआ।
"शिक्षा और भारत"
4 नवंबर को प्रातः 8 बजे हबीबगंज मंदिर मे "शिक्षा और भारत" बिषय पर आयोजित 2 दिवसीय राष्ट्रीय परिचर्चा का शुभारम्भ बिहार के राज्यपाल श्री रामनाथ कोविन्द जी करेंगे। अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु ने बताया कि कार्यक्रम की सभी तैयारी हो चुकी है और अनेक शिक्षाविद इसमें भाग लेने के लिए देश विदेश से पधार रहे हैं।
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
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