दुसरे को देखने में ही अपना उपयोग सदुपयोग से दुरूपयोग में बदल रहा है जबकि स्वयं की तरफ देखें।


                                                                        "अमृत वाणी" 
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भोपाल। आज 27 अक्टूवर को परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि क्रिया होती है तो प्रक्रिया भी होती है। आज व्यस्तता के कारण अग्नि भी अधो से उर्द्र्ध हो जाती है यदि ध्यान नहीं दें तो अग्नि भड़क जाती है। आज हमें वर्तमान का महत्व समझना होगा। अमेरिका ने 64 हजार बच्चों पर जो विद्यार्थी हैं उन पर शोध किया है की आज बच्चे बिषय से क्यों भटक रहे हैं, भौतिक बस्तुओं का अत्यधिक उपयोग करने बाले शिक्षा पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। दर्पण में मुख देखना कम करके मोबाइल में मुख देखने लगे हैं। मानसिकता विकृत होती जा रही है जिससे परिणाम बिगड़ रहे हैं। आज वर्तमान को सँभालने की जरूरत है उसी से वेहतर परिणाम आ सकते हैं।

      उन्होंने कहा कि जो बस्तु हानिकारक है उसे विस्मरत करें और जो काम की हैं उन्हें बच्चों के सामने रखना होगा। दुसरे को देखने में ही अपना उपयोग सदुपयोग से दुरूपयोग में बदल रहा है जबकि स्वयं की तरफ देखें। लोकतंत्र से परिचित होने की जरूरत है मानसिक रूप से तभी काम हो सकेगा।

     उन्होंने कहा कि दीवाली में हिंसा के दोषों से मुक्त होना आवश्यक है और इसके लिए जीव हिंसा को रोकना होगा। जब बारूद के साथ बत्ती का संपर्क नहीं होता तब तक बिस्फोट नहीं हो सकता है। संयम रखने पर ही बिस्फोट से बच सकते है।

       इसके पूर्व आज हथकरघा संघ के कार्यकर्ताओं ने गुरुवर को सामूहिक रूप से श्रीफल भेंट किया। प्रतिभा स्थली की लगभग 200 दीदीओ ने भी गुरुवर को श्रीफल समर्पित कर आशीष ग्रहण किया। गुरुवर की पूजन भी भक्ति भाव से की गई।

      आज आचार्य श्री की आहारचर्या का सौभाग्य मुनि संघ सेवा समिति की सबसे पुरानी महिला कार्यकर्ता श्रीमती शशि जैन खिमलासा, श्री जयहिंद कुमार जैन,अनुराग जैन और उनके परिवार को प्राप्त हुआ।  इसी चौके में मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया और श्रीमती सुधा मलैया ने भी आचार्य श्री को नवधा भक्ति से आहार दिए।

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अपना देश  अपनी भाषा 
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी

शब्द संचयन 
पंकज प्रधान  

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