"अमृत वाणी"
उन्होंने कहा कि आज तीर्थों पर भी प्राचीनता की जगह आधुनिक पद्धति अपनाई जा रही है। भाषा और संस्कृति को लोप कर दोगे तो भाव जाग्रत कहाँ से करोगे। आपने आधुनिकता के रंग में अपना घर बना दिया है उसे घर कैंसे कहेंगे। अपने सहज परिणामों तक पहुँचने के लिए, अपने वास्तविक स्वरुप को पहचानने के लिए जीवन से खरपतवार को हटाना होगा। आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना प्रारम्भ करो। आज की आहार व्यवस्था दूषित हो रही है बच्चे का सही पोषण हो नहीं पा रहा है क्योंकि आप सजग नहीं हो खान पान के प्रति। आप मुझसे मार्ग पूछते हो मैं बताता हूँ पर आप चलते नहीं हो,जब तक दया धर्म जाग्रत नहीं होगा आपको चिंता नहीं होगी। हानिकारक और दूषित भोजन से अपनी भावी पीढ़ी को बचा लो।
उन्होंने कहा कि आप कृषि में नए प्रयोगों से मूल कृषि को लुप्त किया जा रहा है।आज गंगा तो बह रही है परंतु आपने विकास के नाम पर उसे काली गंगा बना दिया है। इसी प्रकार आपकी आत्मा तो गंगा की तरह शुद्ध है परंतु आधुनिकता के नाम पर उसे दूषित आप बना रहे हो। आधुनिकता का लबादा उतारकर अपने प्राचीन मूल स्वरुप को पहचानो। जो बस्तुएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं सबसे पहले उनसे दूरी बनाना प्रारम्भ करो,अपने बच्चों का सुरक्षित भविष्य चाहते हो तो उस पर ध्यान देना प्रारम्भ करो। उसे मोबाइल मैन नहीं बनाओ उसे अच्छा मैन बनाओ।
आज की आहारचर्या चातुर्मास के दौरान 6 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को स्वादिष्ट भोजन कराने बाली "भोजन व्यवस्था समिति" के सदस्यों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा जब आचार्य श्री उनके चौके के सामने आकर रुक गए। सभी ने नवधा भक्ति से गुरुवर का पड़गाहन किया और ख़ुशी ख़ुशी उन्हें आहार दिए।
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
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