"अमृत वाणी"
भोपाल। आज 9 नवंबर को जैन मंदिर हबीबगंज में आयोजित धर्म सभा में परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने कहा कि अन्न का अधिक संग्रह और धन का अधिक संग्रह विष को पैदा करने बाला होता है।
उन्होंने कहा कि अन्न का अधिक संग्रह किया जाता है तो उसमें जीवों की उत्पत्ति होती है और पकाने के बाद तो मर्यादित समय के उपरांत वो बिषाक्त हो जाता है, खाने से रोगों की उत्पत्ति होती है। धन का अधिक संग्रह सम्पूर्ण जीवन को विषाक्त बना देता है क्योंकि परिग्रह के कारण पाप की छाया जीवन पर पड़ जाती है और जीवन में लोभ,मायाचारी, अभिमान जैंसे घातक परिणाम जीवन में प्रवेश कर जाते हैं।
उन्होंने कहा कि रातों रात ऐंसी हवा चल जाती है और कुछ लोगों की हवाइयाँ चेहरे पर उड़ने लगती है ऐंसे ही
आज आचार्य श्री की आहारचर्या का सौभाग्य अजितकुमार टडैया, अरविन्द, अजय, अतुल, अश्विन, आशिष, चातुर्मास समिति के कर्मठ कार्यकर्त्ता अमित टडैया और नेमीचंद सुनील कुमार लिवास गारमेंट्स के परिवार को प्राप्त हुआ।
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
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