आप भी यदि संग्रह करते हैं बुद्धि का एवं धन का, और वो समय पर जरूरत मंदों को बांटते रहेंगे तो वो पुण्य का कारण बन जाता है और पुण्य सद्कार्यों से ही प्रबल होता है।

 "अमृत वाणी" 



10 नवंबर को जैन मंदिर हबीबगंज हथकरघा मय हो गया जब लोगों ने मुक्त हस्त से हथकरघा के सम्बर्धन के लिए दान दिया। इसके बाद प्रवक्ता अंशुल जैन ने शास्त्र भेंट किया।


     इस अवसर पर परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने कहा कि सर्वांगीण विकास में बुद्धि और शरीर दोनों का विकास समाहित होता है। किसी भी अच्छे कार्य की यदि नींव रखी जाती है तो नीचे से लेकर ऊपर तक एक ही दीवार बनायीं जाती है उस पर छत डाली जाती है। बाँध पर भी पानी रोका जाता था उसके लिए पूर्ण प्रबंध किया जाता है उसे निकलने की व्यवस्था की जाती है और नहर के माध्यम से अनेक राज्यों में जाता है। भाखड़ा नंगल बांध में ऐंसी व्यवस्था है उसका उद्देश्य परिग्रह नहीं होता बल्कि कृषि का विकास हो इसके लिये होता है। आप भी यदि संग्रह करते हैं बुद्धि का एवं धन का, और वो समय पर जरूरत मंदों  को बांटते रहेंगे तो वो पुण्य का कारण बन जाता है और पुण्य सद्कार्यों से ही प्रबल होता है।

    उन्होंने कहा कि पहले योग से नियोग कीजिये फिर सबका सहयोग लेकर आप आगे बढ़ सकते हैं। धर्म कभी प्रतिशत में नहीं चलता ये तो गुणित में चलता जाता है और पुण्य को प्रबल करता जाता है। किसी भी काम के सम्बर्धन के लिए संरक्षण जरूरी होता है। आप अच्छे कार्यों का संरक्षण करते जाइए वो कार्य गुणित पद्धति से बढ़ता जाएगा। संग्रह को सदुपयोग में लगाएंगे तो आपके कार्यों को सदियों तक याद रखा जाएगा।

     गुरुवर ने महापौर से कहा की आपने जो संस्कार जैन पाठशाला में लिए हैं उन संस्कारों पर चलते जाइये आगे बढ़ते जाएंगे। उन्होंने कहा की महापुरुषों को महान इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने सद्कार्य किये है जनकल्याण की भावना के साथ। हथकरघा को संरक्षण और सम्बर्धन देंगे तो भावी पीढ़ी के लिए लाभदायक होगा।

     इसके पूर्व आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महापौर श्री आलोक शर्मा ने आचार्य श्री की प्रेरणा से भोपाल में स्थापित होने वाले हथकरघा प्रशिक्षण केंद्र का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर आलोक शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि जनहित के इस कार्य के लिए मैं जैन समाज को हबीबगंज मंदिर के समीप अन्य स्थान भी उपलब्ध कराने का प्रयास करूंगा। मैं बचपन से जैन समाज के बीच रहा हूँ और जैन विद्यालय में ही शिक्षा ग्रहण की है गुरुवर को बचपन से ही अपना आराध्य मानता हूँ। श्री शर्मा ने गुरुवर को शीतकालीन वाचना भोपाल में करने का निवेदन किया।

     इस अवसर पर अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु,राकेश ओएसडी, विनोद mpt एवं  पंकज सुपारी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

        आज आचार्यश्री की आहारचर्या का सौभाग्य श्री कैलाश सिंघई, विजय दुर्ग,नरेंद्र पिंडराई, आदि को प्राप्त 
हुआ।

अपना देश  अपनी भाषा 
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी

शब्द संचयन 
पंकज प्रधान  

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