जो मनुष्य को मिलता है उसके लिए इंद्र भी तरसते हैं ।

"अमृत वाणी" 

भोपाल। आज 2 नवंबर को आयोजित धर्मसभा में अशोकनगर का जनसैलाब उमड़ पड़ा  इस अवसर पर गुरुवर ने कहा की ऐंसा लग रहा है आप भक्ति में सब भूल चुके हो ,सौधर्म को भी ये मौका नहीं मिल पाता है जो मनुष्य को मिलता है उसके लिए इंद्र भी तरसते हैं । मनुष्यता को मिली पगडण्डी को सुरक्षित रखना होगा क्योंकि ये परमानंद की तरफ ले जाने बाली है । भक्ति में उम्र की सीमाएं भी पार हो जाती हैं। आनंद भक्ति में आ रहा है यदि भक्ति के सागर में डुबकी लगाओगे तब सब भूल जाओगे । त्याग में स्थान का कोई अनुबंध नहीं होता बो तो कहीं भी कभी भी हो सकता है । आप का पुण्य का उदय है जो इतने विशाल मंदिर के मंगलाचरण के आप साक्षी बन रहे हो । आप मोह को त्याग कर ,मान को त्याग कर भक्ति कर रहे हो ये दुर्लभ है । मन ,बचन और काय से आप भक्ति करते हो तो ये आपके पुण्योदय का प्रमुख कारण बनता है । राग और कषाय से बिमुख होकर संयम की पगडण्डी पर ऐंसे ही आप चलते रहें तो आपको आपके लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य हो सकेगी । अनंत कालों में ये दुर्लभ मनुष्य भव मिला है इसे सही गति और दिशा प्रदान करें । जो दुर्लभ सुलभ हुआ है ,जो धर्म का मार्ग सुगम हुआ है इसे सुरक्षित रखकर सावधानी से कदम आगे बढ़ाएं । धन दुर्लभ नहीं है मनुष्य तन दुर्लभ है जिसे सार्थक बानाने के लिए संकल्पपूर्ण  आगे बढ़ें । जो शोक से रहित होता है बही अशोक होता है और बही अविनश्वर है और में उसी की तलाश में हूं आप भी जाना चाहते हो तो पीछे पीछे आओ । अनर्घ् का अर्थ है मौलिकता और उसी मौलिकता के लिए बीतरागि पथ पर चलना पड़ता है ।                                
आज अशोकनगर से पूज्य मुनि श्री अभय सागरजी महाराज ससंघ की प्रेरणा से लगभग 2500 श्रावक् गुरुवर को श्रीफल समर्पित करने आये हैं । 

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