अपने दृष्टी कोण को बदलने से और सही दिशा में पुरुषार्थ करने से ज्ञान को भी सही दिशा मिलती है। " पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज "
"अमृत वाणी"
भोपाल। आज 28 सितम्बर को पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज ने हबीबगंज जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में कहा कि अपने दृष्टी कोण को बदलने से और सही दिशा में पुरुषार्थ करने से ज्ञान को भी सही दिशा मिलती है।
आचार्य श्री ने कहा कि जब दृष्टि में दोष आता है तो एक साथ दोनों आँखों की जांच नहीं होती, एक एक करके जाँच करके नम्बर निकाला जाता है। दर्पण के माध्यम से अक्षर और नम्बर पढ़ने को कहा जाता है फिर उसके आघार पर दृष्टि दोष का आंकलन किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जब हम चलते हैं तो दृष्टि पैरों की तरफ नहीं रहती जमीन की तरफ होती है क्योंकि नियंत्रण तो दृष्टि से ही किया जाता पेर भले ही चलायमान रहते हैं। पैरों का संतुलन थोडा सा बिगड़ भी जाय दृष्टि का ध्यान पैरों को नियंत्रित कर देता है ये ध्यान बाहरी नहीं बल्कि अंतरंग का ध्यान होता है। पैरों की कोई राह नहीं होती बल्कि उन्हैं तो राह पर अपने ज्ञान के माध्यम से लाया जाता है। अपने ध्यान को अपने नियंत्रण में रखना जरूरी होता है। ध्यान से ही अपना ज्ञान भी नियंत्रित होता है । भीतरी अनुभव से ध्यान को नियंत्रित किया जा सकता है। शब्दों के अर्थों को किस अनुपात से प्रयोग करना है ये महत्वपूर्ण होता है। ध्यान से ही संयम को भी नियंत्रित किया जाता है। संयत ध्यान से ही ज्ञान की उत्पत्ति होती है। ध्यान घोड़े की लगाम की तरह होता है घोडा भले ही सरपट दौड़ता रहे यदि लगाम कसी रही तो बो नियंत्रण से बाहर नहीं जा सकता। ध्यान से संयम की साधना होती है। कर्तव्य को ध्यानपूर्वक करने पर ही साधना को संयत किया जा सकता है।
इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और गुना के सांसद श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि पूज्य आचार्य श्री जो धर्म प्रभाबना कर रहे हैं वो समूचे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का कार्य कर रही है। जैन समाज द्वारा जो क्षमा पर्व मनाया जाता है बो मानवीय पहलु के सशक्तिकरण का जीवंत उदहारण है। उन्होंने कहा की आचार्य श्री मेरी भावना है की आपके पावन चरण मेरे घर यानि अशोकनगर, गुना और शिवपुरी में पड़ें क्योंकि उधर के श्रावक् लंबे समय से आपकी प्रतीक्षा में बैचेन हैं।
आज की आहारचर्या का सौभाग्य समाजसेवी श्री दिनेश जैन ,अभिषेक ,अंकित जैन ,(विकास रोड कैरियर ) के परिवार को प्राप्त हुआ।
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अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
भोपाल। आज 28 सितम्बर को पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज ने हबीबगंज जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में कहा कि अपने दृष्टी कोण को बदलने से और सही दिशा में पुरुषार्थ करने से ज्ञान को भी सही दिशा मिलती है।
आचार्य श्री ने कहा कि जब दृष्टि में दोष आता है तो एक साथ दोनों आँखों की जांच नहीं होती, एक एक करके जाँच करके नम्बर निकाला जाता है। दर्पण के माध्यम से अक्षर और नम्बर पढ़ने को कहा जाता है फिर उसके आघार पर दृष्टि दोष का आंकलन किया जाता है।
उन्होंने कहा कि जब हम चलते हैं तो दृष्टि पैरों की तरफ नहीं रहती जमीन की तरफ होती है क्योंकि नियंत्रण तो दृष्टि से ही किया जाता पेर भले ही चलायमान रहते हैं। पैरों का संतुलन थोडा सा बिगड़ भी जाय दृष्टि का ध्यान पैरों को नियंत्रित कर देता है ये ध्यान बाहरी नहीं बल्कि अंतरंग का ध्यान होता है। पैरों की कोई राह नहीं होती बल्कि उन्हैं तो राह पर अपने ज्ञान के माध्यम से लाया जाता है। अपने ध्यान को अपने नियंत्रण में रखना जरूरी होता है। ध्यान से ही अपना ज्ञान भी नियंत्रित होता है । भीतरी अनुभव से ध्यान को नियंत्रित किया जा सकता है। शब्दों के अर्थों को किस अनुपात से प्रयोग करना है ये महत्वपूर्ण होता है। ध्यान से ही संयम को भी नियंत्रित किया जाता है। संयत ध्यान से ही ज्ञान की उत्पत्ति होती है। ध्यान घोड़े की लगाम की तरह होता है घोडा भले ही सरपट दौड़ता रहे यदि लगाम कसी रही तो बो नियंत्रण से बाहर नहीं जा सकता। ध्यान से संयम की साधना होती है। कर्तव्य को ध्यानपूर्वक करने पर ही साधना को संयत किया जा सकता है।
इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और गुना के सांसद श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि पूज्य आचार्य श्री जो धर्म प्रभाबना कर रहे हैं वो समूचे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का कार्य कर रही है। जैन समाज द्वारा जो क्षमा पर्व मनाया जाता है बो मानवीय पहलु के सशक्तिकरण का जीवंत उदहारण है। उन्होंने कहा की आचार्य श्री मेरी भावना है की आपके पावन चरण मेरे घर यानि अशोकनगर, गुना और शिवपुरी में पड़ें क्योंकि उधर के श्रावक् लंबे समय से आपकी प्रतीक्षा में बैचेन हैं।
आज की आहारचर्या का सौभाग्य समाजसेवी श्री दिनेश जैन ,अभिषेक ,अंकित जैन ,(विकास रोड कैरियर ) के परिवार को प्राप्त हुआ।
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अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
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पंकज प्रधान
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