17 सितम्बर
सुबह 9.15 बजे
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भोपाल। 17 सितम्बर को पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की पूजन से धर्मसभा शुरूहुई ।
आचार्य श्री ने कहा की 170 कर्म भूमियों में सौधर्म इंद्र का आधिपत्य आजीवन रहता है । बहा दुःख आता नहीं है ख़ुशी की लहर दौड़ती है । हमारे परिणाम हमारे लिए कभी कभी घातक होते हैं कभी सुख की लहर लेकर आते हैं । कर्मों का परिणाम पुरुषार्थ के हिसाब रहता है । आपको सोभाग्य के जो क्षण प्राप्त हुए हैं उन्हें सहेजकर आगे के लिय अपनी कर्मों कीभूमि बना लें और जब बरसात होती है तो बाँध बाँधा जाता है ऐंसे ही कर्मों का बांध बाँध लें ताकि भविष्य में सुखद परिणाम मिले। गरीबों के लिए त्यौहार एक बार आता है अमीरों के लिए रोज त्यौहार होता है परंतु परिणाम निर्मल हों तो रोज जीवन में त्यौहार आता है।
उन्होंने कहा क़ि सदुपयोग करो परिणामों का तो भविष्य में परिणाम सुखद होंगे । अनुशाषित होकर रहेंगे तो धर्म में आनंद की प्राप्ति अवश्य होगी । यदि सौधर्म इंद्र की तरह वैभव शाली बनना है तो अपनी भक्ति और श्रद्धान को और मजबूत बनाइये । सौधर्म इंद्र की इतनी बड़ी महिमा होती है की उसके राज्य में चारों तरफ सुख की बयार बहती रहती है कोई भी दुःख किसी कोनहीं मिलता ये सब कर्मों के परिणाम हैं।
आचार्य श्री के आहारचर्या का सौभाग्य सक्रीय कार्यकर्त्ता संतोष मोदी हबीबगंज
के परिवार को प्राप्त हुआ।
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अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
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