जैन कर्म सिद्धांत के अनुसार, कर्म के आठ मुख्य प्रकार हैं घातिया और अघातिया


४-  घातिया कर्म - मोहिनी, ज्ञानवरनि , दर्शन वर्णीय , अन्तराय

४- अघातिया कर्म - वेदनीय , आयु , नाम , गोत्र 















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