भावना योग

भावना योग की बात है, वह ध्यान नहीं है। वह एक अलग साधना, एक अभ्यास, एक ऐसा योग जिसके बल पर हम अपनी आत्मा का निर्मलीकरण कर सके, अपनी चेतना की विशुद्धि बढ़ा सकें। वर्तमान में एक सिद्धांत विकसित हुआ ‘ला ऑफ अट्रैक्शन’ हमारे विचार साकार होते हैं, हम जैसा सोचते हैं जैसा बोलते हैं जैसी क्रिया करते हैं संस्कार हमारे सबकॉन्शियस में पड़ जाते हैं और वही कालांतर में प्रकट होकर हमारे कॉन्शियस माइंड को एक्टिव करते हैं और उससे हमारी प्रवृत्तियां बनती है। यह लॉ ऑफ अट्रैक्शन का सिद्धांत है इसी के बल पर द पावर ऑफ सबकॉन्शियस माइंड जैसी बातें लोगों के बीच आई। यह तो हमारी चीज है यही जैन साधना है, पुरातन काल से यह साधना हमारे यहां चलती है। यह हमारे पूरे अध्यात्म, जैन साधना का प्राण है। जैन आध्यात्मिक या भावना योग बस पश्चिम वालों में और हमने इतना ही अंतर है कि उन्हें पैसे कमाने के लिए पाने के लिए इस बात की चिंतन की बात की और भारत के ऋषि मुनियों ने परमात्मा के लिए।


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