"अमृत वाणी"
भोपाल। आज 5 अक्टूबर को श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हबीबगंज में आयोजित धर्मसभा में परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने कहा कि जब हम बाहर से भीतर की और जाना चाहते हैं या भीतर से बहार की तरफ जाना चाहते हैं तो दोनों तरफ के मार्ग खुले रहते हैं। अन्तर्जगत् में प्रवेश के लिए द्वार को खोलना होता है । जिस तरह अपने मकान के कक्ष में प्रवेश हेतु द्वार पर लगे ताले को खोलना होता है। कोई भी बाहरी व्यक्ति भी भीतर प्रवेश नहीं कर सकता जब तक ताला लगा होता है। यदि ताला नहीं लगा हो तो कोई भी प्रवेश कर सकता है इसी प्रकार आप के अंतर्मन में यदि ज्ञान रुपी ताला लगा हो तो कोई भी बाहर का विकार भीतर प्रबेश नहीं कर सकता। भीतरी वातावरण को यदि स्वच्छ रखना है तो बाहरी प्रदुषण से मुक्त रखना होगा। अंतर्मुखी होने के लिए भीतरी उपयोग लगाना आवश्यक होता है। जब चिकित्सक आपकी जांच करते हैं तो कोनसा हिस्सा आपका सक्रीय है और कौनसा निष्क्रिय है ये आपको बता देते हैं और उसके लिए आपको ओषधि भी बता देते हैं और ये भी बताते हैं कौनसी ओषधि कितनी मात्रा में ली जाती है और यदि उनकी बताई विधि से चलते हैं तो हम पूर्ण स्वस्थ हो जाते हैं। आप सब भी अपने विद्यार्थी बच्चों के अभिभावक हैं तो एक चिकित्सक की भाँती उसकी रोजमर्रा जिंदगी का परिक्षण करके उसे सही रस्ते पर चलने के संस्कार दीजिये ताकि बो ज़माने की हवा से किसी रोग से ग्रस्त न हो जाय। आप यदि बच्चों के अच्छे संरक्षक हैं तो संरक्षण भी अच्छा होना चाहिए। आप यदि कमाई के चक्कर में दिन रात भाग रहे हो तो आपकी खुद की पूँजी जो आपके बच्चे हैं बो असुरक्षित हो जायेगी।
उन्होंने कहा कि जिस तरह अंतर्मन को बाहरी प्रदुषण से बचाने के लिए अंतर्मुखी होना पड़ता है उसी तरह अपने बच्चों को भौतिकवाद के प्रदुषण से मुक्त रखने के लिए अभिभावकों को उनके प्रति जिम्मेदार और गंभीर होना पडेगा। उन्हें बाहरी विकारों से बचाने के लिए तत्पर होकर उनके मन को समझने की जरूरत है ,उनके भीतर झाँकने की जरूरत है।
इससे पूर्व आज 1100 क्वाटर्र जैन समाज के उपस्थित भक्तों ने अष्ट द्रव्यों से भक्तिपूर्वक गुरुवर की पूजन की। आज की आहारचर्या का सौभाग्य प्रदीप जैन, सुभाष जैन, संजय जैन, दीपक जैन किराना व्यवसायी जुमेराती बालों के परिवार ने प्राप्त किया।
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अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
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