राष्ट्र सर्वोपरि होता है I हम सभी को हमेशा उन माहन शहीदों के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए । परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज


                                                             "अमृत वाणी" 
भोपाल ।। आज 24 अक्टूवर को जैन मंदिर हबीबगंज में आयोजित धर्मसभा में परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने कहा कि पूज्य होने के लिए पहले पूज्यों की शरण में जाकर उनका अनुशरण करने की प्रक्रिया प्रारम्भ करनी होगी तभी पूज्यता की और अग्रसर हो सकेंगे । बाहर की जो पूजा आदि की क्रियाएँ होती हैं ये आपको एक अच्छा श्रावक् बनने की प्रेरणा तो दे सकते हैं परंतु एक अच्छा साधक बनने की प्रेरणा तो भीतर अंतरंग की क्रियाओं के माध्यम से ही मिल सकती है । साधना का मन की भावनाओं से गहरा सम्बन्ध होता है क्योंकि मन यदि भटकाव के मार्ग पर है तो साधना भी भटक सकती है इसलिए मन की एकाग्रता का अभ्यास पहले जरूरी है । उन्होंने कहा कि आप सभी जीवन में पाना तो बहुत चाहते हो परंतु प्राप्ति तभी होती है जब त्याग की और कदम बढ़ाया जाता है । आपके कदम जब त्याग की और बढ़ते हैं तो दुनिया आपके क़दमों की तरफ बढ़ती है यही प्रकृति का नियम है यदि प्रकृति का दोहन करना चाहते हो तो पहले उसे सहेजने और संबारने की आदत भी डालना सीखो । प्रकृति के पास आपको देने के लिए भरपूर संसाधन है बस उन संसाधनों का सदुपयोग आपको करना है ।। 

   आज प्रातः जब आचार्य श्री शौच क्रिया हेतु जेल पहाड़ी गए थे तो कुछ भक्तों के निवेदन पर राजधानी की आन बान और शान तथा देश के शहीदों की समृति में बनाये गए शौर्य पार्क भी गए और उधर के कार्य को देखकर प्रसन्नता भी जाहिर की । गुरुवर ने भक्तों से कहा की राष्ट्र सर्वोपरि होता है और सैनिक इस राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करता है यही भारतीय संस्कृति है और हम सभी को हमेशा उन माहन शहीदों के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए ।   

आज आचार्य श्री की आहरचर्या का शौभाग्य डॉ राकेश जैन और उनके पूरे परिवार को प्राप्त हुआ ,

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इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी

शब्द संचयन 
पंकज प्रधान  

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