पहले की शिक्षा में तीन चरणों में परीक्षा के माध्यम से विद्यार्थी की योग्यता का मापदंड किया जाता था - पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी
भोपाल । आज 4 अक्टूबर को श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हबीबगंज में आयोजित धर्मसभा में पूज्य परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि पहले की शिक्षा में तीन चरणों में परीक्षा के माध्यम से विद्यार्थी की योग्यता का मापदंड किया जाता था फिर अगली कक्षा में जाने के लिए भी एक परीक्षा होती थी ताकि सरलता से उसे प्रवेश की पात्रता मिल जाय ।आज सेमिस्टर सिस्टम के माध्यम से हर 6 माह में पाठ्यक्रम की परीक्षा होती है ये अव्यवहारिक तरीका है क्योंकि बह 6 माह में पुनराबलोकन उस पाठ्यक्रम का नहीं कर पाता है और उसकी पढाई की धारा भी टूट जाती है जिससे उसका मनोबल टूटता है ।इस शिक्षा नीति का कुछ लोग बिरोध भी करते हैं क्योंकि ये प्रणाली प्रासंगिक नहीं है। इसमें अभिभावक और विद्यार्थी भी संतुष्ट नहीं है परन्तु उनकी आवाज सुनने बाला कोई नहीं है क्योंकि शिक्षा का ब्यबसायिकरण होता जा रहा है।
उन्होंने कहा की आज शिक्षा के नाम पर जो क्षल किये जा रहे हैं बो हमारी संस्कृति पर कुठाराघात है । और ये सब सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है । गोधूलि बेल में गाय भैंस लौटकर आ जाते हैं फिर बो जुगाली करते हैं जिससे अंदर सात तत्व बनते हैं जिससे दूध बनता है । आपके लिए भी कुछ सिद्धान्त बनाए गए हैं जो आपके ज्ञान को विकसित करने में सहायक सिद्ध होते हैं ,आप जिनवाणी बगल में नहीं सामने रखोगे तभी ज्ञान की प्राप्ति हो सकेगी। आप बच्चों को भी यदि संस्कारित करना चाहते हो तो उन्हें ज्ञान का सही मार्ग दिखाने का उपक्रम करें।
इससे पूर्व आज सभी उपस्थित श्रावकों ने आचार्य श्री की भक्ति भाव से पूजन की । सभी पूजन की क्रियाएँ ब्रह्मचारी अविनाश जी ने संपन्न कराइ।
इस अबसर पर देश के अनेक स्थानों के भक्तगण बिशेष रूप से उपस्थित हुए।
आज की आहारचर्या का सौभाग्य भोपाल के सबसे प्राचीन तीर्थ समशगढ़ के लिए कृत संकल्पित पंचरतन परिवार को प्राप्त हुआ। पंचायत कमेटी के पूर्व अध्य्क्ष अशोक पंचरतन , अजय, अनिल और पंचायत कमेटी के ट्रस्टी आलोक पंचरतन ने सपरिवार नबधा भक्ति से आचार्य श्री का पड़गाहन् करके आहार प्रदान किये ।
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
उन्होंने कहा की आज शिक्षा के नाम पर जो क्षल किये जा रहे हैं बो हमारी संस्कृति पर कुठाराघात है । और ये सब सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है । गोधूलि बेल में गाय भैंस लौटकर आ जाते हैं फिर बो जुगाली करते हैं जिससे अंदर सात तत्व बनते हैं जिससे दूध बनता है । आपके लिए भी कुछ सिद्धान्त बनाए गए हैं जो आपके ज्ञान को विकसित करने में सहायक सिद्ध होते हैं ,आप जिनवाणी बगल में नहीं सामने रखोगे तभी ज्ञान की प्राप्ति हो सकेगी। आप बच्चों को भी यदि संस्कारित करना चाहते हो तो उन्हें ज्ञान का सही मार्ग दिखाने का उपक्रम करें।
इससे पूर्व आज सभी उपस्थित श्रावकों ने आचार्य श्री की भक्ति भाव से पूजन की । सभी पूजन की क्रियाएँ ब्रह्मचारी अविनाश जी ने संपन्न कराइ।
इस अबसर पर देश के अनेक स्थानों के भक्तगण बिशेष रूप से उपस्थित हुए।
आज की आहारचर्या का सौभाग्य भोपाल के सबसे प्राचीन तीर्थ समशगढ़ के लिए कृत संकल्पित पंचरतन परिवार को प्राप्त हुआ। पंचायत कमेटी के पूर्व अध्य्क्ष अशोक पंचरतन , अजय, अनिल और पंचायत कमेटी के ट्रस्टी आलोक पंचरतन ने सपरिवार नबधा भक्ति से आचार्य श्री का पड़गाहन् करके आहार प्रदान किये ।
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
🚩🚩🚩🚩🚩
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
Comments
Post a Comment