"अमृत वाणी"
गुरुवर परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने अपनी अमृतमयी बाणी के प्राशुक जल से सभी को शीतल कर दिया उन्होंने कहा कि प्रमाद और कषाय करने से सुमेरु पर्वत के बराबर कचरा इकट्ठा हो जाता है। जो घाव हुआ था, धीरे धीरे भरते हुए आये औषधि उपचार किया पर प्रमाद के कारण पहले से और ज्यादा गहरा हो गया। पहले सात्विकता होते हुए भी कर्मों के थपेड़े ने एक को कर्जदार बना दिया, चुकाता गया बो थोड़ा सा रह गया अब बो चिंता से थोडा मुक्त हो गया और प्रमाद करने लगा तो फिर ऋणी हो गया। कषाय साफ़ हो जाती है माफ़ नहीं होती। हाथी निकल जाता है पूँछ रह जाती है। कषाय थोडा सा उदय में आ जाय तो गर्त में जाने में देर नहीं लगती। इससे गरीब, अमीर, श्रावक्,मुनि सभी ग्रषित हो जाते हैं क्योंकि कषाय मूर्च्छा परिग्रह का कारण होती है। आजकल मूर्च्छा (कोमा) में जाने की बीमारी से लोग ग्रस्त होते जा रहे हैं क्योंकि प्रमादी हो गए हैं। पहले कण के बराबर होती थी कषाय फिर मन भर होती थी आज टन भर होती जा रही है फिर जीवन टनाटन कैंसे बन सकता है। आज सक्रीय होकर धर्म का पालन करें, अहिंसा धर्म को जीवित रखना है तो बृक्ष की भाँती उसे भी सिंचित करना पडेगा। अहिंसा का बगीचा तभी फल फूल सकता है जब प्रमाद से बहार निकालकर, परिग्रह से मुक्त होना पडेगा, स्वार्थ सिद्धि को छोड़ना पडेगा।
आज परमाणु की शक्ति जो एकत्रित की गई है बो बहुत विनाशकारी है। आज राष्ट्र को सशक्त बनाने के पहले अपने आपको सशक्त बनाएं।
आज परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी को शास्त्र भेंट गुणायतन के विनोद काला, अशोक पांड्या और मुम्बई के दीपचंद, निर्मल गंगवाल ने किया। पंडित विमल सौंरया, ने श्रीफल भेंट कर आशीष लिया।
आज स्टेशन बजरिया मंदिर के सभी भक्तों ने भक्तिपूर्वक अष्टद्रव्यों से गुरुवर की पूजन की।
आज एक कर्मठ कार्यकर्ता की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा जब आचार्य भगवन को उसने नवधा भक्ति से पड़गाया। हबीबगंज मंदिर और पंचायत कमेटी को अपनी निस्वार्थ सेवाएं प्रदान करने बाले विजय मोदी और उनके पुत्र आयुष नानु सहित परिवार के सभी सदस्यों को गुरुबर को आहार देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
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