"अमृत वाणी"
भोपाल। परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जीमहाराज जी ने आज 8 अक्टूबर को श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हबीबगंज में हुई धर्मसभा में कहा कि मनुष्य के पास इतनी क्षमता नहीं होती कि बो स्वर्गों के देवों जैंसे असीम सुखों को भोग सके और उस बैभव को प्राप्त कर सके जो स्वर्गों में बिखरा पड़ा है। मनुष्य के पास शारीरिक और मानसिक रूप से बो क्षमताएं नहीं होती जो देवों की तरह आनंद की अनुभूति प्रदान करने बाली होती हैं। ये धरती पर अभी दुःख वाला काल चल रहा है और आप छोटे से दुखों में भी विचलित हो जाया करते हैं और संतों की शरण में पहुँच जाते हैं। परंतु अभी मनुष्य दुखों को सहन करने की शक्ति रखता है आगे आने बाले कालों में तो ये सहन शक्ति भी क्षीण हो जायेगी। जब दुखमय दुखमय काल आएगा तो सब कुछ असहनीय हो जाएगा तब तो आप तप भी नहीं कर सकते हो इसलिए अभी आपको मौका है दुखों को सहन करके अपनी इन्द्रियों को नियंत्रित करके आप तप के माध्यम से मुक्ति पथ को प्रशस्त कर सकते हो। अभी आप इन्द्रियों पर नियंत्रण करके आत्मध्यान के माध्यम से देवों से भी अधिक सुख की अनुभूति कर सकते हो।
उन्होंने कहा कि आपके पुण्य की वर्गणाएं आपको धर्म के क्षेत्र में आगे बढ़ने में सहायक होती है। स्वर्ग के देव भौतिक सुखों को तो प्राप्त कर लेते हैं परंतु आत्मा की अनुभूति का आनंद तो केवल मनुष्य भव में ही सम्भव है। और सच्ची आत्मा की अनुभूति का स्वाद तो मुनि महाराजों को ही मिलता है क्योंकि वे हमेशा अपनी आत्मा में रमण करते हैं। आत्मानुभूति का स्वाद मन को नियंत्रण में रखकर ही प्राप्त किया जा सकता है।
गुरुवर ने कहा कि दिन पर दिन गुजरते जाते हैं, समय रेत की तरह फिसलता जाता है और जो समय का सदुपयोग नहीं कर पाते हैं वे फिर हाथ मलते रह जाते हैं। संवेदन के माध्यम से जो मनुष्य को अनुभव होता है वो स्वर्ग के बड़े से बड़े देव को भी नहीं हो पाता है इसलिए इस दुर्लभ मनुष्य तन की उपयोगिता को समझें। आप ध्यान की बात को खूब करते हो परंतु ध्यान से बात नहीं कर पाते हो।
✨परम पूज्य संत शिरोमणि १०८ आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज✨ के पड़गाहन और आहार दान देने का सौभाग्य ☘ ब्र भारतेन्दू भैया, महाराष्ट्र वालों के परिवार को प्राप्त हुआ (चौका न १५९)☘
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अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
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