"अमृत वाणी"
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भोपाल।आज 7 अक्टूबर को जैन मंदिर हबीबगंज में आयोजित धर्मसभा में परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जीमहाराज जी ने कहा कि आज मनुष्यों में बिभिन्न प्रकार की बीमारियां पनप रहीं हैं जिनके लिए विशेष योग्यता बाले चिकित्सक बुलाये जाते हैं। मधमेह की बीमारी तो तेजी से पनप रही है। देवलोक में देवों को कभी कोई बिमारी नहीं होती न ही चिकित्सकों की कोई आवश्यकता उनहे पड़ती है। कषाय और चिंता से रहित होने पर ही आरोग्यता शरीर में आती है, इसके विपरीत देवलोक में कषायों की मंदता रहती है, शारीरिक और मानसिक रोगों से रहित होता है देवों का जीवन।
उन्होंने कहा कि आत्मपुरुषार्थ अलग बस्तु है और कषायों की मंदता अलग बस्तु है। आप लोग कहते हो कि इतिहास में क्या रखा है, ये किस काम का है, जबकि इतिहास ही हमें जीवन की सही दिशा का बोध कराता है क्योंकि इतिहास के यथार्थ को जानकर ही भविष्य का सही निर्धारण होता है। हमारे भीतर बहुत खटक पटक चलती रहती है, जब तक ये भीतरी खटक पटक समाप्त नहीं होती तब तक बाहर का वातावरण भी प्रदूषित बना रहता है। जिनवाणी या आगम में हमें ये जानने को मिलता है कि हम पूर्व में कहाँ से आये हैं और भविष्य में अपनी अच्छी गति का निर्धारण कैंसे करे। जिस तरह टिकट के लिए लाइन में लगते हो उसी प्रकार स्वर्ग और मोक्ष की टिकट के लिए हमारी कठिन तप बाली लाइन में तो आपको लगना ही पडेगा।
उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं महाराज आजकल आप धर्म की डोज ज्यादा दे रहे हो,कभी कभी चिकित्सक को रोग के हिसाब से ओषधि की मात्रा भी बढ़ाना पड़ती है। जो पौराणिक रोग होते हैं उनको सही करने के लिए पौराणिक तरीके का इलाज करना पड़ता है। जो शरीर के लिए आवश्यक हो भले ही कड़वी हो परंतु ओषधि देना तो पड़ती है।
आज गुरुवर की आहारचर्या का सौभाग्य आचार्य विद्यासागर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट को एक बड़ी जमींन दान करने बाले स्वर्गीय महेंद्र जैन, नरेंद्र जैन सुतवाला परिवार ने गुरुवर का नवधा भक्ति से पड़गाहन करके आहार प्रदान किये।
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अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
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