भोपाल। मैत्री समूह परिवार के 600 से अधिक विद्यार्थियों और अभिभावकों की उपस्थिति में जैन मंदिर हबीबगंज में आज विशेष दिवस 10 अक्टूबर को आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने कहा कि आसमान से बर्षा हो रही है, एक खेत है, खेत में गन्ना है,बहीं पर एक नीम का बृक्ष है दोनों की जड़ों में एक ही जल जा रहा है परंतु एक मिठास दे रहा है, एक कड़वापन से भरा है। नीम में कड़वापन है परंतु उसी की दातुन से दांत और मुख साफ़ भी हो जाता है, किसी को विषाक्त फोड़ा हो जाता है तो नीम की पत्ति ओषधि का काम भी कर जाती है। हमारे पास भी दो प्रकार की प्रक्रत्तिआं विद्यमान हैं उपयोग के माध्यम से संभावना लगा देते हैं तो भावना जो भव नाशिनी होती है बो काम करने लग जाती है। जो सम्यक दृष्टि होते हैं बो अपने कर्तव्यों का पालन हर जगह करते हैं। समय का सदुपयोग करने पर ही परिणाम अनुकूल होते हैं।
उन्होंने कहा कि जो नासमझ और अज्ञानी होते हैं उन्हें आप जैंसे समझदार ही समझा सकते हैं । आपके बच्चे आपसे ही ज्ञान की अपेक्षा रखते हैं ,यदि आप उन्हें अपने ज्ञान में भागीदार बनाएँगे तो बे अवश्य ही ज्ञानी बन सकते हैं। जो घोड़ागाड़ी चलाता है बो घोड़े को अपने नियंत्रण में रखता है ऐंसे ही बच्चों का लालन पालन करते समय आप भी उन्हें नियंत्रण में रखें नहीं तो बे अनियंत्रित हो जाएंगे। अधिक लाड प्यार के कारण बच्चे स्वछन्द हो जाते हैं और बिना लगाम के घोड़े की तरह सरपट अंधी दिशा की और दौड़ने लग जाते हैं। उनकी छोटी सी जिद को पूरा करने के लिए आप सिद्धान्तों से समझोता न करें बल्कि भले बुरे का सही ज्ञान उन्हें करायें। अपनी नजरों को उनके ऊपर केंद्रित रखें फिर बो आपके केंद्र से बहार नहीं जा पाएंगे।
आज आचार्य श्री की आहारचर्या का सौभाग्य भोपाल में मुनिभक्ति में सबसे अग्रणी रहने बाले समर्पित कार्यकर्ता पवन सुपर और श्रीमती मंजू जैन को मिला जिन्होंने पुरे परिवार के साथ गुरुवर को नवधा भक्ति से आहार दिए।
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15-16 अक्टूबर शरद पूर्णिमा को भोपाल में होगा "मूक-माटी " पर मंथन
【राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश विदेश के अनेक विद्वान् करेंगे इस महाकाव्य पर अपने "मन की बात"】
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"मूक-माटी" को एक महाकाव्य के रूप में निरूपित किया जाता है परंतु यथार्थ में ये मानव जीवन के हरेक पहलु का एक ऐंसा दस्तावेज है जो न भूतो न भविष्यति को चरितार्थ करता है।
आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने रविवार 9 अक्टूवर को भोपाल प्रवचन में कहा कि लोग कहते हैं मूक माटी के बाद आप क्या लिख रहे हैं, ये सुनकर में सोचता हूँ कि ये प्रश्न बड़ा ही जटिल है।
आचार्य महाराज ने जो कहा वो शत प्रतिशत सत्य है क्योंकि मूक-माटी वेद है, पुराण है, बाइबिल है, कुरआन है, आत्मा का सार है, इसमें समाया सम्पूर्ण संसार है, ये पुदगल की व्यथा है, ये भारत की पौराणिक कथा है, ये नारी शक्ति की आवाज है, इसमें छिपे इतिहास के राज है, इसमें पद दलिता का मर्म है, ये चैतन्य का धर्म है, इसमें विज्ञान का सार है, परमाणु का ये विस्तार है, इसमें माटी की सुगंध है, इसमें मनुष्य का अन्तर्द्वन्द है, वीरांगनाओं की है शौर्यगाथा, वीरों का गर्व से उठा माथा, जीवन मूल्य हुआ साकार है, इसमें जिनवाणी का सम्पूर्ण सार है।
आइये हम सभी साक्षी बनें इस अद्वितीय आयोजन के जिसमें 20 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति, 40 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विद्वान् और अनेक शोधकर्ता पधार रहे हैं। पूज्य आचार्य श्री का ससंघ पावन सानिध्य हम सभी को सम्बल प्रदान करेगा।
📚आयोजक📚
📍 श्री अटल बिहारी वाजपयी राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल
📍 श्री दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट रजि भोपाल
📞संपर्क सूत्र📞
डॉ सुधीर जैन
9926494401
सन्देश जैन
9425019832
मलय जैन
7049162411
प्रकाशचंद्र जैन
9827760989
🚩कार्यक्रम स्थल🚩
श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, हबीबगंज महाराणा प्रताप नगर भोपाल (म.प्र)
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अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
पंकज प्रधान
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