मोबाईल आकाश में विचरण करने बाले पंछियों के लिए भी नुक्सानदायक हैं। - परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज
जो आप मोबाईल का उपयोग कर रहे हो, इसमें से निकलने बाली घातक किरणें आपके साथ साथ कुछ आकाश में विचरण करने बाले पंछियों के लिए भी नुक्सानदायक हैं।
उक्त उदगार परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज ने आज 6 अक्टूबर को जैन मंदिर हबीबगंज में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये उन्होंने कहा कि चिड़िया संघी पंचिन्द्रिय जीव होती है। एक अनुसंधान से पता चला है की मोबाइल के टावर से निकलने बाली किरणों से सबसे ज्यादा नुक्सान उनको हो रहा है और उनकी संख्या घटती जा रही है। आप मोबाइल मंदिर परिसर में लेकर घुमते हो तो अहिंसा धर्म का घात होता है। आप कम से कम मंदिर में उपयोग न करने का संकल्प तो ले ही सकते हैं ताकि अनावश्यक हिंसा से बच सकें। गर्भवती महिलाओं पर भी इसका दुष्प्रभाव होता है और आने बाले बच्चे के लिए विकास में भी इसकी किरणे घातक सिद्ध होती हैं।
उन्होंने कहा कि जब एक्सरे का निर्माण हुआ तो उससे भीतर की बीमारियां पता लगाईं जाती हैं। जो भीतर की बीमारियां आपको ज्ञात नहीं हो पाती हैं ऐंसे ही मोबाइल से आपके भीतर बीमारियां पनप रही हैं जो आपको दिखाई नहीं देती हैं। आज विज्ञान जगत में जो सूक्ष्म अविष्कार हो रहे हैं बो भविष्य में विकराल रूप धारण कर सकते हैं और मानव जीवन के लिए ख़तरा सिद्ध हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आज कृषि के क्षेत्र में भी विज्ञान के द्वारा कीटनाशक के नए प्रयोग हो रहे हैं जिनके दुष्प्रभाव आपके शरीर पर हो रहे हैं ।नए नए प्रयोगों से बातावरण दूषित हो रहा है । कीटनाशक भारतीय संस्कृति नहीं है बल्कि कीटनिरोधक भारतीय संस्कृति है। आज ऐंसी खाद भी बनाई जा रही है जिसे डालने से मौसम के जो कीट होते हैं बो खेत में पनप ही नहीं पाते हैं ,इसको प्रोत्साहित हो भोपाल ।जो आप मोबाईल का उपयोग कर रहे हो ,इसमें से निकलने बाली घातक किरणें आपके साथ साथ कुछ आकाश में विचरण करने बाले पंछियों के लिए भी नुक्सानदायक हैं ।
उन्होंने कहा कि अपने राष्ट्र के भविष्य के निर्माता बच्चे हैं उन्हें प्रदूषित बातावरण से मुक्त कर अच्छी दिशा का बोध कराना आप सभी का कर्तव्य है। आज डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ खिलाकर आप बच्चों के मानसिक और बौद्धिक विकास से कुठाराघात कर रहे हो। जब तक शुद्ध और पौष्टिक आहार अपने बच्चों को देना प्रारम्भ नहीं करोगे तब तक उनकी बुद्धि का विकास रुका रहेगा।
उन्होंने कहा की आज कृषि उत्पादन में फल ,सब्जी, अनाज के साथ अंडा उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन को भी सम्मिलित करना राष्ट्र का दुर्भाग्य है। आज कृषि प्रधान भारत में असली कृषि को पीछे धकेल कर मांस उत्पादनों को बढाबा देना कृषि के साथ कुठाराघात है । इस बिषय में सभी को चिंता के साथ सोचना होगा तभी अहिंसा धर्म को जीवित रखा जा सकता है।
आज की आहारचर्या का सौभाग्य मनोज जैन पनागर के परिवार को प्राप्त हुआ।
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इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
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