आज शरद पूर्णिमा पर परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी का जन्मोत्सव पूरी दुनिया में श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। भोपाल में आचार्यश्री के शिष्य मुनियों ने आज सुबह 6 बजे आचार्यश्री को सिंहासन पर बिठाकर अत्यंत भक्ति पूर्वक उनकी तीन परिक्रमा की। इस अवसर पर ब्रहम्चारी दीदियों व भैयाओं ने दीप सजाकर मंगल गीत गाकर गुरू का जन्मोत्सव मनाया। सुबह गुरूभक्ति के बाद जैसे ही आचार्यश्री सिंहासन से उठने लगे मुनि प्रसाद सागर जी ने उन्हें सिंहासन पर ही बैठे रहने की विनय की ताकि सभी मुनि परिक्रमा कर सकें। मुनि जब तक परिक्रमा करते रहे तब तक वहां उपस्थित हजारों भक्त गुरू की लंबी आयु के लिए भजन और भक्ति करते रहे।
"अमृत वाणी"
इस अवसर पर परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि आजकल चित्र का जमाना चल रहा है, सभी लोग चित्र में अपना चित्त लगा कर बैठे हैं परंतु ये चित्र आपके चारित्र को कमजोर कर रहा है। बाहर का चित्र हमेशा आकर्षित करता है जिसके मोह में आप सभी पराश्रित हो जाते हैं । जब हम अंतरंग के चित्र को निहारते हैं तो यथार्थ का बोध होता है और यहीं से चारित्र निर्माण की यात्रा प्रारम्भ होती है।
उन्होंने कहा की कोई भी काव्य शब्दों की अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का सशक्त साधन होता है। आज विद्यार्थियों को यदि शिक्षा के साथ सार्थक ज्ञान का भी बोध कराया जाय तो शोध की दिशा उन्हें सही दशा तक ले जा सकती है।
मूकमाटी चौथा सत्र
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भोपाल। आज हबीबगंज मंदिर परिसर में कुम्भ के मेले की तरह अपार भीड़ थी और ऐंसी भीड़ में मूकमाटी के कुम्भ से अमृत की बूँदें विद्वानों के शब्दों की अभिव्यक्ति के रूप में छलक रहीं थीं।
आज मूक माटी राष्ट्रीय अधिवेशन के चौथे सत्र में ज्ञान की ज्योत माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति वी के कुठियाला, संतोष सिंघई कुण्डलपुर, उपस्थित विद्वतजनों ने प्रज्ज्वलित कर सत्र का शुभारम्भ किया।
इस अवसर श्री कुठियाला ने कहा की मूकमाटी में पिरोया हुआ प्रत्येक शव्द एक मोती की भाँती है जो सम्पूर्ण होकर जीवन की एक माला का रूप ले लेती है। आज के जो पत्रकारिता क्षेत्र के विद्यार्थी हैं उन्हें इसके अध्ययन से बहुत ही सशक्त ज्ञान की उपलब्धि हो सकती है। महात्मा गांधी विश्व विद्यालय बर्धा के कुलपति गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि प्रत्येक पंक्ति अपने आप में जीवन के यथार्थ को सहेजे हुए लगती है, ये एक महाकाव्य न होकर सम्पूर्ण जीवन दर्शन परिलक्षित होता है। प्रो. श्रीराम परिहार खंडवा ने कहा की प्रत्येक पंक्ति से ऊर्जा का संचार करने वाली तरंगें प्रवाहित होती हैं। मूक माटी काव्य न होकर एक धर्म ग्रन्थ जैंसा है जो आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। वरिष्ट साहित्यकार और कवि कैलाश मड़बैया ने अपनी कविता के माध्यम से अपनी भावांजलि प्रस्तुत की।
इस अवसर पर जैन विद्वान डॉ सुरेन्द्र भारती, बुरहानपुर, ने मूक माटी के धार्मिक पक्ष पर अपने मार्मिक विचार व्यक्त किये। डॉ नीलम जैन पुणे, प्रो सुकमाल जैन मुम्बई ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम का संचालन प्रो चन्द्र कुमार जैन और डिप्टी कमिश्नर सुधीर जैन ने किया।
भीलवाड़ा से 1300 लोगों की विशेष रेलगाड़ी गुरुवर को श्रीफल भेंट करने आये जिसमें सुशील शाह, सुभाष जैन, पंकज जैन, छाबड़ा जी, अनिल पाटनी आदि सम्मिलित थे। सुभाष जी खजुराहो, प्रो जिनेन्द्र जैन सागर ने श्रीफल भेंट किया। आज मुनि श्री प्रसाद सागर जी सहित 10 मुनिराजों का दीक्षा दिवस भी है।
आचार्य श्री के आज आहार चर्या का सौभाग्य समाजसेवी धन्य कुमार मोदी महाराणा प्रताप नगर बालों के परिवार को प्राप्त हुआ।
आज "रविवारीय धर्मसभा" सुभाष स्कूल 7 नम्बर स्टाप पर दोपहर 2 बजे होगी। मूक माटी संगोष्ठी का समापन सत्र भी होगा। मुख्य अतिथि राजस्व मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता रहेंगे।
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
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