सम्यक दर्शन - परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज

"अमृत वाणी" 
भोपाल। आज 12 अक्टूवर को श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि सम्यक दर्शन की उत्पत्ति में अनेक कारण होते हैं हरेक गति में धर्म श्रवण होता है, नरक में भी देवलोग जाकर नार्कियों को संबोधित करते हैं। 16 स्वर्ग बाले शुक्ल लेश्या बाले देवों के नीचे वाले देव जाते हैं। अधोगति में अपने ढंग की कषाय अलग होती हैं बहुत तीव्र होती है फिर भी सम्यक दर्शन उन्हें होता है। यदि आप दुसरे से सत्य बुलवाना चाहते हो तो आपको भी सत्य को अंगीकार करना होगा। वात्सल्य चाहते हो तो अपने ह्रदय को वात्सल्य से भरना होगा। अधोलोक में अनुग्रह नहीं होता स्वयं जाग्रत होना पड़ता है। आज समाचार पत्रों में गरम ख़बरों का चलन ज्यादा हो गया है सही ख़बरों का नितांत आभाव हो गया है, आज अपनी विचारधारा थोपने का चलन बढ़ता जा रहा है। सब अपने विचारों को थोपने में लगे हैं।

      उन्होंने कहा कि जब तक भूख से बच्चा नहीं रोता तब तक माँ उसे खाना नहीं देती,इसी प्रकार आप अपने अंतरात्मा में धर्म की भूख नहीं बढ़ाओगे तब तक आपको कोई गुरु सदमार्ग का अमृतपान नहीं करायेगा।

     लोकतंत्र में किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है किसी बात को मानने के लिए परंतु अपनी बात पूरी निष्ठा और ईमानदारी से रखना चाहिए। सबको अपनी बात रखने का अधिकार है,अपने गुणों को रखने का अधिकार है परंतु किसी को किसी की आलोचना का अधिकार है, समालोचना तो होना चाहिये। दूसरों के गुणों की जो प्रशंशा करता है समाज में उसका महत्व बढ़ जाता है। जो अपनी आलोचना करता है दुनिया कभी उसकी आलोचना नहीं करती। समालोचना से साहित्यकार को भी समाज में स्वीकार किया जाता है। समाचार पत्रों को आलोचना की ख़बरोंं से बचकर समाज को सही दिशा देने बाले समाचार देना चाहिए तभी समाज और राष्ट्र को सही दिशा मिल सकेगी।

       उन्होंने कहा कि सम्यक दर्शन कोई छोटी बस्तु नहीं है जो बाजार में मिल जाय वो तो स्वयं की कमियों को दूर करके और अपनी आलोचना से ही सम्यक दर्शन प्राप्त किया जा सकता है।

     इससे पूर्व मंडीदीप जैन समाज और पाठशाला के बच्चों द्वारा गुरुवर की पूजन की गई।

आज आचार्य श्री के आहार का सौभाग्य पंचायत कमेटी के उपमंत्री और चातुर्मास के कर्मठ कार्यकर्त्ता विकास जैन विक्की,राजेन्द्र जैन छावनी मंगलवारा के परिवार को प्राप्त हुआ। परिवार के विशाल, वैभव, विपुल, मयंक, मधुर, तन्मय, तनुष, श्रेयस आदि ने गुरुवर को नवधा भक्ति से पड़गाहन करके आहार प्रदान करने का सौभाग्य प्राप्त किया।


"अध्यात्म शिरोमणि संत की शरण में होंगे राजनैतिक संत नरेंद्र मोदी"
(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अक्टूबर को आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का प्राप्त करेंगे आशीष)
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भोपाल। देश के सबसे बड़े जैनाचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन हेतु दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र देश भारत वर्ष के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार 14 अक्टूबर को श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हबीबगंज में शाम 5.35 बजे पधारेंगे।
     ये दुसरा मौका है जब देश का कोई प्रधानमंत्री आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन और मार्गदर्शन के लिए उनके समक्ष उपस्थित हो रहा है। इससे पूर्व 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल विहारी वाजपई ने गोम्मट गिरी इंदौर पहुंचकर पूज्य गुरुदेव के दर्शन किये थे।
      सूत्रों के अनुसार श्री नरेंद्र मोदी 14 अक्टूबर को शाम 5.35 बजे जैन मंदिर हबीबगंज पहुंचेंगे जहां समाज के वरिष्टजन और चातुर्मास समिति के सदस्यगण उनका आत्मीय अभिनन्दन और सम्मान करेंगे। तत्पश्चात श्री मोदी जी आचार्य श्री के कक्ष में जाकर उनका आशीर्वाद ग्रहण कर अनेक राष्ट्रीय मुद्दों पर गुरुवर से वार्तालाप कर उनका मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे।
    इस अवसर पर गुरुदेव कौशल विकास, भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था, मूल्यपरक शिक्षा नीति, स्वदेशी और स्वाबलंबी रोजगार नीति, गौधन संरक्षण,पर्यावरण सुधार और सशक्त भारत के नवनिर्माण जैंसे राष्ट्रहित और जनहित के संवेदनशील मुद्दों पर अपना मार्गदर्शन श्री मोदी जी को प्रदान करेंगे। संभवत राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर श्री मोदी आचार्य श्री का आशीर्वाद और मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त करेंगे।
     भारत राष्ट्र की ये प्राचीन परम्परा रही है जब राजतंत्र था तब राजा ऋषि मुनियों की शरण में जाकर अपने राजधर्म का निर्वाहन करने के लिए मार्गदर्शन प्राप्त करते थे।
      जहां मोदी जी के लिए आचार्य श्री का दर्शन और मार्गदर्शन प्राप्त करना गौरव के क्षण होंगे वहीं जैन समाज के लिए भी ये ऐतिहासिक पल गौरवान्वित करने वाले होंगे।
    इस मौके पर संभवत प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर और प्रदेश के वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया भी श्री मोदी जी के साथ होंगे।
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15-16 अक्टूबर शरद पूर्णिमा को भोपाल में होगा "मूक-माटी " पर मंथन
【राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश विदेश के अनेक विद्वान् करेंगे इस महाकाव्य पर अपने "मन की बात"】

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"मूक-माटी" को एक महाकाव्य के रूप में निरूपित किया जाता है परंतु यथार्थ में ये मानव जीवन के हरेक पहलु का एक ऐंसा दस्तावेज है जो न भूतो न भविष्यति को चरितार्थ करता है।
     आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने रविवार 9 अक्टूवर को भोपाल प्रवचन में कहा कि लोग कहते हैं मूक माटी के बाद आप क्या लिख रहे हैं, ये सुनकर में सोचता हूँ कि ये प्रश्न बड़ा ही जटिल है।
     आचार्य महाराज ने जो कहा वो शत प्रतिशत सत्य है क्योंकि मूक-माटी वेद है, पुराण है, बाइबिल है, कुरआन है, आत्मा का सार है, इसमें समाया सम्पूर्ण संसार है, ये पुदगल की व्यथा है, ये भारत की पौराणिक कथा है, ये नारी शक्ति की आवाज है, इसमें छिपे इतिहास के राज है, इसमें पद दलिता का मर्म है, ये चैतन्य का धर्म है, इसमें विज्ञान का सार है, परमाणु का ये विस्तार है, इसमें माटी की सुगंध है, इसमें मनुष्य का अन्तर्द्वन्द है, वीरांगनाओं की है शौर्यगाथा, वीरों का गर्व से उठा माथा, जीवन मूल्य हुआ साकार है, इसमें जिनवाणी का सम्पूर्ण सार है।
  आइये हम सभी साक्षी बनें इस अद्वितीय आयोजन के जिसमें 20 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति, 40 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विद्वान् और अनेक शोधकर्ता पधार रहे हैं। पूज्य आचार्य श्री का ससंघ पावन सानिध्य हम सभी को सम्बल प्रदान करेगा।
 कार्यक्रम                                
15 अक्टूबर    उद्घाटन सत्र -- प्रातः  7 30-- 9 30    
प्रथम सत्र-- दोपहर  12 30 -- 2 30
दूसरा सत्र -- दोपहर 3  --सांय 5  तीसरा सत्र    रात्रि 7 30 से 9 30                  
16 अक्टूबर(दूसरा दिन)    चौथा सत्र --- प्रात  7 30 --9 30  
समापन सत्र  दोपहर 12-- 2 30
   📚आयोजक📚
📍 श्री अटल बिहारी वाजपयी राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल
📍 श्री दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट रजि भोपाल
📞संपर्क सूत्र📞
डॉ सुधीर जैन
9926494401
सन्देश जैन
9425019832
मलय जैन
7049162411
प्रकाशचंद्र जैन
9827760989
🚩कार्यक्रम स्थल🚩
श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, हबीबगंज महाराणा प्रताप नगर भोपाल (म.प्र

अपना देश  अपनी भाषा 
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी


शब्द संचयन 
पंकज प्रधान  

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