भारत की राजनीती के शिरोमणि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सन्त शिरोमणी परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी का आशीर्वाद लिया और चर्चा की ।
भोपाल। आज का दिन भारतीय राजनीती और जैन समाज के लिए बहुत ही विशेष दिन रहा। आज सांय 5.50 बजे श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हबीबगंज में पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शन करने, उनका आशीर्वाद लेने एवं कुछ महत्वपूर्ण विषयो पर चर्चा करने हेतु देश के सर्वमान्य सर्वोच्च व्यक्ति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी पधारे।
इस ऐतिहासिक अवसर पर जब मोदीजी की ब्लैक बुलेट प्रूफ स्पेशल गाड़ी मंदिर प्रांगण में आकर रुकी और आदरणीय मोदीजी गहरे नीले रंग की जाकेट में गाड़ी से नीचे उतरे तो वहाँ पांडाल में बैठे विशेष पासधारी समिति के सदस्यों से उन्होंने हाथ हिलाकर अभिवादन किया तो सभी ने खुश होकर जय जय गुरुदेव और मोदीजी के लिए नारे लगाकर अपनी अपार ख़ुशी प्रकट की।
सर्वप्रथम मोदीजी का प्रमोद हिमांशु, राकेश osd, विनोद एमपीटी, और सुनील 501 ने स्वागत अभिनन्दन किया। तत्प्श्चात आदरणीय मोदीजी ने पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज को नमोस्तु निवेदित कर श्रीफल भेंट कर आशीष ग्रहण किया। और विभिन्न विषयों पर चर्चा की एवम् मार्गदर्शन प्राप्त किया
इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली ,वित्त मंत्री जयंत मलैया , स्वास्थ्य मंत्री शरद जैन उधोगपति अशोक पाटनी, राजा भैया सूरत, पंकज जैन पारस टीवी, संघ के अरुण जैन ने भी गुरुवर का आशीष ग्रहण किया।
भोपाल। आज 15 अक्टूबर को मूक माटी 2 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्टि का शुभारम्भ पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के सानिध्य में भगवान आदिनाथ के चित्र के समक्ष सांसद आलोक संजर , अटल बिहारी वाजपई राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति मोहनलाल छीपा ,पूर्व कुलपति मिथिला प्रसाद जी, प्रमोद हिमांशु, आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
मूकमाटी संगोष्ठी का शुभारम्भ
इस अवसर पर उपस्थित अनेक कुलपतियों का स्वागत आयोजन समिति की और से किया गया । इस अवसर पर सांसद आलोक संजर ने आचार्य श्री को श्रीफल भेंट कर आशीष ग्रहण किया।उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य में हिंदी का योगदान सर्वोच्च है क्योंकि हिंदी में भावों की स्पष्टता दिखाई देती है। मूक माटी एक ऐंसा महाकाव्य है जिसमें जीवन का यथार्थ है। इस अवसर पर पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन पूर्व कुलपति मिथिला प्रसाद जी ने कहा की माटी तो मूक थी परंतु गुरुवर की कलम ने उसे शब्दातीत बना दिया है। श्री प्रसाद जी ने एक कविता के माध्यम से सम्पूर्ण मूक माटी को अपने विचारों के माध्यम से सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया । प्रमुख सचिव संस्कृति, बाणिज्य, पुरातत्व मनोज श्रीवास्तव ने गुरुवर का आशीष प्राप्त किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बरिष्ट हस्तीमल जैन ने कहा की पीड़ा भी आनंद का बिषय होता है जब उसमें से कुछ अनूठा निकलता है ,गुरुवर ने माटी में से अमृत निचोड़ा है । श्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा की जितनी रचनाधर्मिता गुरुवर की कलम में है भारतीय साहित्य समाज में विरला ही है। आजकल अनेक गुरु सर्जन की वजाय अर्जन में लगे हैं परंतु केवल्य के मार्ग को प्रशस्त करने बाले गुरुवर ने साहित्य का जो सर्जन किया है बो अंतरंग के निर्माल्य का परिणाम है । इस महाकाव्य के तारतम्य में स्पष्ट है माटी को अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है और उसमें स्वर्ण मयि निखार आ जाता है । आतंकवाद के बारे में लिखी पंक्तिआं ऐंसी लगती हैं मानो अभी 29 सितम्बर के सन्दर्भ में 1988 में ही लिख दिया हो, ये उनकी दूरदर्शिता का परिचायक है । जिसका जीवन कविता हो गया हो उसकी कविता तो जीवनदायनी हो ही जायेगी।
इस अवसर पर स्वागत अध्य्क्ष कमल अजमेरा ने मनोज जी का प्रतीक चिन्ह से सम्मान किया। राजा भोज विश्वविद्यालय के कुलपति तारिक अनवर ने घोषणा की की मूक माटी को अपने विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की घोषणा की। साँची विश्वविद्यालय के कुलपति यग्नेश्वर शास्त्री ने भी अपने विचार व्यक्त किये और कहा अनेक शताब्दियों में ऐंसे बिरले महाकवि होते हैं। गोष्ठी का संचालन सुधीर जैन और चंद्रकुमार जैन ने किया।
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
शब्द संचयन
पंकज प्रधान
Comments
Post a Comment