
जहां भगवान राम ने जिन मंदिर बनवाया था, पद्मपुराण ग्रंथ के अनुसार ऐसे रामटेक के शांतिनाथ के श्री चरणों में शांति पथ-प्रदर्शक आचार्य श्री विद्यासागरजी अपने 38 शिष्यों सहित विराजमान हैं यहां आचार्यश्री 5 वीं बार चातुर्मास कर रहे है... बालिका गुरुकुल प्रतिभास्थली खुला है जिसमें भारतभर की जैन-अजैन बालिकाएं प्राचीन गुरुकुल पद्धति के अनुसार शिक्षा ग्रहण करती हैं एवं पूज्य आचार्यश्री ने यहां पूर्व में वर्ष 1993, 1994, 2008 व 2013 में चातुर्मास भी किया है... गुरुवर्यश्री के ही निर्देशन से रामटेक में लाल पाषाण का भव्य जिनालय बना है। यही वह पावन भूमि है, जहां आचार्यश्री ने 24 मुनि दीक्षाएं व 2 आर्यिका दीक्षाएं प्रदान की थीं व 2013 में आचार्यश्री के शिष्य पूज्य सुधासागरजी महाराज ने 20 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद गुरुदर्शन किए थे... यह वही पवित्र भूमि है, जहां चौथे काल में भगवान राम ने अपने चरण टिकाए थे फलत: यह भूमि ‘रामटेक’ नाम से सार्थक हुई। अब यहां की ऊर्जावान मूक माटी को चंदन सम महकाने पुन: गुरुवर पधारे हैं.. हम सब आशा करते हैं कि 4 माह तक गुरु भगवंत की पदरज से यहां की मूक माटी भी चंदन सम बने व सदियों तक अपनी सौंधी सुंगध से जन-जन को अपनी ओर आकर्षित करे! आप सभी भी सपरिवार अपने मित्रों के साथ गुरुदेव के दर्शन कर अपने जीवन धन्य कर ले..
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