समाधि मरण एकत्वभावना मेरे गुरुवर विद्यासागर Santshiromani Vidyasagar Ji Maharaj #AcharyaVidyasagar #AcharyaGyansagar

अपने गुरु के समान ही आचार्य श्री विद्यासागर जी भी जीवन का अंतिम लक्ष्य *समाधि मरण* की सिद्धि हेतु कृतसंकल्प है। इसका स्पष्ट चित्रण संघस्थ ज्येष्ठ साधु मुनि श्री योग सागर जी की आचार्य श्री जी से हुई चर्चा से स्पष्ट हो जाता है !!
आचार्य श्री विद्यासागर जी का भोपाल मध्यप्रदेश चातुर्मास सन 2016 के बाद डोंगरगढ़ राजनांदगांव छत्तीसगढ़ तक का लम्बा बिहार हुआ इस दौरान आचार्य श्री जी अधिक कमजोर दिखने लगे थे ,डोंगरगढ़ पहुंचने से 1 दिन पूर्व 5 अप्रैल 2017को ईर्यापथ भक्ति के पश्चात मुनि श्री योगसागर जी ने आचार्य श्री जी से कहा- *आपने अपने शरीर को पहले से ज्यादा बुड्ढा (वृद्ध) बना लिया है, पीछे से देखें तो ऐसा लगता है जैसे 80 साल के बुड्ढे जा रहे हैं* संघस्थ साधुओं ने भी उनका समर्थन किया। तब *आचार्य जी बोले तुम लोग मेरी भी तो सुनो मैं कहां कह रहा हूं कि मैं 80 का नहीं हूं I am running seventy । इसमें 70 से लेकर 80 तक का काल आ जाता है*
*आचार्य श्री जी ने आगे कहा - सल्लेखना के लिए 12 वर्ष क्यों बताएं मूलाचार प्रदीप,भगवती आराधना में क्या पढ़ा है,तैयारी तो करनी ही होगी मेरे पास जितना अनुभव है उसी आधार पर तथा गुरुजी से जो मिला उसी अनुभव के आधार पर तैयारी करनी होगी।*
*अपने पास *आगम चक्खू साहू*है *मैं उसी के अनुसार अपने शरीर को सल्लेखना के लिए तैयार कर रहा हूं, वैसे ही साधना चल रही है बहुत दुर्लभ है यह सल्लेखना।*
*आप लोग इसको अच्छे तरीके से समझें , मिलेक्ट्री की तरह बस प्रत्येक समय तैयार रहो। i am ready to face it*
*बस धीरे-धीरे उस ओर बढ़ते जाना है सतत अभ्यास से ही इस दुर्लभ लक्ष्य को साधा जा सकता है। प्रभु से यही प्रार्थना करता हूं कि एकत्वभावना का चिंतन करते हुए आयु की पूर्णता हो।*
इससे अधिक गुरु एवं शिष्य की क्षमता का उदाहरण और क्या हो सकता है *यथा गुरु तथा शिष्य, कैसा दुर्लभ संयोग*
*शिक्षा - हमारे जीवन का अंत न जाने कब आ जाए,इसलिए जैसे आचार्य श्री जी सल्लेखना के प्रति हर समय जाग्रत हैं , वैसे ही हम अपने जीवन के प्रत्येक क्षण में जाग्रत रहें, सतर्क रहें और एक ना एक दिन उस परम समाधि अवस्था को प्राप्त करें।
अपना देश अपनी भाषा
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी
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