आचार्यश्री ने कहा कि मंदिर तो बहुत बन रहे है, बनते है, बनते रहेंगे है यह भी मंदिर बनेगा इसमे मूर्ति नही रहेगी लेकिन फिर भी वह मन्दिर रहेगा वह सरस्वती मन्दिर है।


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आचार्यश्री #रामटेक.....रामटेक में #चातुर्मास कलश स्थापना का महा आयोजन जैसा मेरी अपनी सगी आँखों ने देखा
आज रामटेक में खचाखच भरे पांडाल में प्रातःकालीन उद्बोधन देते हुएआचार्यश्री ने कहा....

अभी यह पूर्वार्ध है, अभी आधी जनता ही आई है। पूर्वार्ध के. समापन के बाद उत्तरार्ध आएगा, पूर्वार्ध वाले समझ रहे है कि, हमने पांडाल में अपनी जगह पकड़ ली है। जब तक आप लोग यहा से भोजन करने जाएंगे तब तक उत्तरार्ध वाले आ जाएंगे। लेकिन आप लोग... घबराए नही आप लोगो को थोड़ा "खिसका खिसकी" करना होगी, सभी लोग समा जाएंगे

आज आचार्यश्री की पूजन के समय बहु प्रचलित भजन °°°° थोड़ा ध्यान लगा.... गुरुवर दौड़े दौड़े आयेंगे...भजन भी गाया जा रहा था

इस भजन के सम्बंध में आचार्यश्री ने प्रातःकालीन प्रवचन में सभी से प्रश्न किया " कभी आपने हमे भागते हुए आते देखा है 
क्या ? "दौड़े दौड़े तो आप लोग आते है , हम तो हौले हौले ही आते है। "


आज दोपहर में आचार्यश्री ने अपना उद्बोधन आरम्भ करते हुए में कहा .....वे लोग जो सबसे पीछे खड़े खड़े सुन रहे है , उनके लिये हमारा बहुत अच्छे ढंग से, आशीर्वाद है और सभी को पृथक ,पृथक आशीर्वाद है लेकिन जो सामने बैठे है उन सबको एक साथ आशीर्वाद है।*_


आचार्यश्री ने कहा कि मंदिर तो बहुत बन रहे है, बनते है, बनते रहेंगे है यह भी मंदिर बनेगा इसमे मूर्ति नही रहेगी लेकिन फिर भी वह मन्दिर रहेगा वह सरस्वती मन्दिर है।

आचार्यश्री ने कहा जब हमें #बुरा लगता है तब आंखों में पानी आ जाता है और जब #बूरासामने आता है तो मुह में पानी आ जाता है_

आज इतने महत्वपूर्ण दिन जब #प्रतिभास्थली अपने विस्तार की विस्तृत उचाइयां स्पर्श कर रही थी उस समय आचार्यश्री ने इस ऐतिहासिक विशाल योजना का, स्वयं कोई श्रेय न लेते हुए सब कुछ अपने गुरु को समर्पित कर दिया स्वयं इतने विशाल संघ के नायक हो कर 50 वर्षो से निर्दोष साधना करते हुए भी अपने गुरु के प्रति कितना समर्पित है और ऐसे समर्पित शिष्य का अपने गुरु के समर्पण शब्दातीत है।

आज के मंगल उद्बोधन का समापन करते हुए आचार्यश्री ने कहा.... हमारे हाथ मे कुछ भी नही है, मात्र हमारा कर्तव्य है, और वह कर रहा हूं। गुरु महाराज [गुरुणाम गुरु आचार्य ज्ञानसागरजी महाराज ] का कहना था, कि... संघ को गुरुकुल बना देना, सो वह बनता ही जा रहा है ,बनता ही चला जा रहा है अभी और उसको कितना बनना है यह तो गुरुजी ही जाने हम तो केवल उनके आज्ञाकारी, आज्ञा पालन करने वाले है।...

#आचार्यश्री का अपने गुरुदेव के प्रति समर्पण उनकी गुरुभक्ति के प्रति सभी लोगो की आंखे नम हो गई और द्रवित नयन, मन हृदय और मस्तक झुका रहा ऐसे ऐतिहासिक गुरु शिष्य के पावन चरणों मे

आज के इस महाआयोजन के ऐसे अनेको दुर्लभ क्षण पल थे जिन्हें अतृप्त आंखों ,मन, हृदय से देखा लेकिन समय शब्द भाव बौने हो गए सो बस मात्र यही टूटे फूटे भाव आप तक_


संयोजक
श्री दि. जैनाचार्य विद्यासागर पाठशाला भिलाई

अपना देश  अपनी भाषा 
इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी

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