जीवन में सदैव बनाए रखें नीति और न्याय के सिद्धांत को:#आचार्यश्री @ #सिलवानी

मार्ग पर चले बगैर कोई पथिक गंतव्य तक नहीं पहुंच सकता, इसलिए गंतव्य तक पहुंचने के लिए चलने की प्रक्रिया को हमेशा बनाए रखना चाहिए आपने बताया कि मोक्ष मार्ग के गुरु एेसे होते हैं जो सभी को साथ लेकर चलते हैं। साथ चलना है तो गुरु साथ देंगे। यह ध्यान रखना होगा कि गुरु की यात्रा कभी रुकती नहीं है। गुरु की चाल के अनुसार चलोगे तो यात्रा में गुरु के साथ साथ चल सकोगे, बरना रास्ते में ही गुरु का साथ छूट जाएगा। गुरु मात्र संकेत ही देते हैं, गुरु के संकेतों को समझो। मोक्ष मार्ग के संबंध में उन्होंने बताया कि मोह से रहित ही मोक्ष मार्ग है। मोक्ष मार्ग तक पहुंचने में गुरुओं की विशेष भूमिका होती है। गुरु बनाए बगैर मोक्ष मार्ग पर कदम नहीं बढ़ाया जा सकता है।

आचार्यश्री ने कहा कि कार्य को करने के लिए समयावधि तैयार करना होगी। तैयारी के साथ ही कार्य शुरू किया जाना चाहिए, क्योंकि सामने रास्ता तैयार है, लेकिन उस रास्ते पर चलना प्रारंभ करना होगा। नीति और न्याय के सिद्धांतों को जीवन में सदैव बनाए रखना चाहिए। यही दो शब्द ऐसे हैं जो मानव जीवन में आवश्यक व अनिवार्य हैं। दो अक्षरोें से बने यह शब्द इंसान को वास्तविक जीवन से परिचित कराने के साथ ही सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

यह उपदेश आचार्य विद्यासागर महाराज ने व्यक्त किए। वे सोमवार को नियमित प्रवचन माला में उपस्थित श्रावकों को गुरु के संकेत की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हुए न्याय नीति के अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहे थे। प्रारंभ में श्रावकों द्वारा आचार्य पूजा की गई।


आचार्यश्री ने बताया कि मार्ग पर चले बगैर कोई भी पथिक गंतव्य तक की यात्रा पूर्ण नहीं कर सकता है। यात्रा को पूर्ण कर गंतव्य तक पहुंचना है तो बगैर किसी भटकाव या विश्राम के सतत चलने की प्रक्रिया को बनाए रखना होगा, तभी मंजिल को प्राप्त किया जा सकता है। 



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इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी

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