कार्य करने से पहले गुण-दोषों काे परखना जरूरी • परम पूज्य आचार्य १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज जी

पुरुषार्थ और युक्ति को अपनाकर ही कार्य किया जाना चाहिए। योजना बनाकर किया गया कार्य सफलता के सोपान तय करने में सहायक बनता है। बगैर पुरुषार्थ व युक्ति को अपनाकर किए गए कार्य में सफलता मिलना तय नहीं होता है। अतः श्रावक को चाहिए कि वह कार्य शुरू करने से पूर्ण उसके गुण व दोषों को परख ले। यह उपदेश आचार्य विद्यासागर महाराज ने दिए। वह शनिवार को बुधवारा बाजार में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रावकों को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले श्रावकों ने संगीत की लय के साथ आचार्य पूजन भक्ति भाव के साथ किया।

आचार्यश्री ने बताया कि रोग में औषधि का सेवन किया जाता है। रोग को देखकर ही चिकित्सक औषधि देता है। कुछ औषधि कड़वी होती है, लेकिन रोग को ठीक करने के लिए सेवन करना आवश्यक होता है। चिकित्सक के बताए अनुसार ही औषधि का सेवन किया गया तो रोग ठीक हो सकता है अन्यथा रोग के ठीक होने की गारंटी चिकित्सक भी नहीं ले पाएगा। आचार्यों, मुनियों के कंठ से श्रद्धा के साथ सुनकर जीवन में अनुशरण करना चाहिए। भगवान की वाणी भी सुनने में कड़वी हो सकती है, लेकिन जीवन रूपी नौका को पार लगाने में सहायक होती है। भोजन करते समय चुप रहना चाहिए

आचार्यश्री ने कहा कि प्राप्त हुई सामग्री को मिल-बांटकर ग्रहण किए जाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, लेकिन आज इसके विपरीत कार्य किया जा रहा है। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि भोजन करते समय बोलना नहीं चाहिए। मानसिक क्रिया किए जाने के समय भी सावधानी बरतना आवश्यक है। जो श्रावक उपाय को समझकर उपयोग करता है उसका हित सुनिश्चित होता है, लेकिन जो एेसा नहीं करता है, उसका हित सुरक्षित होगा, यह कह पाना या मानना मुश्किल होता है।
उस रास्ते पर चलें, जो मंजिल पर पहुंचाए

आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा कि चौराहे से रास्ता चारों दिशाओं में जाता है, लेकिन उसी रास्ते पर चलना चाहिए जो कि मंजिल तक पहुंचा दे। हालांकि रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक ही होती है। जीवन का रास्ता लंबा-चौड़ा होने के साथ ही ऊबड़-खाबड़ भी होता है। चौराहों पर संकेत लिखे जाते हैं कि कौन सा रास्ता किस तरफ जाएगा, मानव के लिए भी एेसी ही व्यवस्था की गई है। सही रास्ते का चुनाव करने के बाद ही सड़क पर आगे बढ़ना हितकर होता है। मानव को अपने नेक प्रयोजन के लिए नेक रास्ता ही चुनना हितकारी तथा लाभदायक होता है।

अपना देश  अपनी भाषा 

इंडिया हटाओ, भारत लाओ। – आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी

Comments